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नेशनल हेराल्ड केस : स्वामी के ट्वीट पर रोक लगाने पर फैसला सुरक्षित

Update: 2018-10-20 16:45 GMT

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मोतीलाल वोरा की सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा इस केस के बारे में ट्वीट करने पर रोक लगाने की मांग पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। नेशनल हेराल्ड के मुख्य मामले पर अगली सुनवाई 17 नवम्बर को होगी।

सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि ट्वीट में कांगी (congi) शब्द का मतलब कांग्रेस के लिए अपमानजनक टिप्पणी नहीं है। उन्हें ट्वीट करने का अधिकार है। हमने ट्वीट किया है लेकिन वे भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत साक्ष्य नहीं हो सकते हैं। कांग्रेस नेताओं की याचिका पर मेरिट के आधार पर फैसला होना चाहिए। स्वामी ने कहा कि ट्वीट के जरिए उनकी मंशा कोर्ट के कामकाज को प्रभावित करने की नहीं है।

स्वामी ने शशि थरूर द्वारा अर्णब गोस्वामी के रिपब्लिक चैनल के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट के फैसले का जिक्र किया, जिसमें हाईकोर्ट ने चैनल को खबर प्रसारित करने की मांग खारिज कर दी थी। स्वामी ने कहा कि हमारा कोर्ट ओपन कोर्ट है और सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने की अनुमति दे दी है, ऐसे में ट्वीट करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।

स्वामी की इस दलील का आरोपितों के वकील आरएस चीमा ने विरोध करते हुए कहा कि अभी केस बचाव पक्ष के साक्ष्य के चरण में है और उनके ट्वीट वकीलों के काम करने में बाधा खड़ी कर रहे हैं। उन्होंने स्वामी द्वारा ट्वीट में 'कांगी लायर्स' शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई। चीमा ने कहा कि मैं एक वकील हूं और किसी पार्टी से संबंध नहीं रखता हूं।

पिछली सुनवाई के दौरान आरोपितों के वकील ने सुब्रमण्यम स्वामी पर अपने ट्वीट में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि स्वामी अपने ट्वीट में सोनिया के लिए ताड़का और राहुल के लिए Bambino (male child in Italian) जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के वकील ने कोर्ट से मांग की थी कि उन्हें इस केस के बारे में ट्वीट करने पर रोक लगाई जाए।

पिछले 17 सितम्बर को सुब्रमण्यम स्वामी ने अपना बयान दर्ज कराया था। कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी का क्रास एग्जामिनेशन की तिथि 27 अक्टूबर तय की थी। 27 अक्टूबर को सोनिया गांधी और राहुल गांधी के वकील उनका क्रास एग्जामिनेशन करेंगे।

पिछले 25 अगस्त और 21 जुलाई को भी सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया था। पिछले 26 मई को कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी की इस मांग को खारिज कर दिया था कि आरोपितों को या तो दस्तावेजों को स्वीकार करना चाहिए या खारिज कर देना चाहिए । कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी की इस मांग को स्वीकार कर लिया कि वे उन दस्तावेजों को साक्ष्य के तौर पर पेश कर सकते हैं। उन दस्तावेजों के परीक्षण के बाद अधिकारियों को समन भेजा जा सकता है।

पहले की सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में एक दूसरे पर केस को लंबा खींचने का का आरोप लगाया था। 

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