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मराठा आरक्षण मामला : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को भेजा नोटिस

Update: 2019-07-12 07:14 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में दिए गए आरक्षण को पूर्व प्रभावी तौर पर लागू नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही, शीर्ष कोर्ट की तरफ से राज्य सरकार को इस मामले में नोटिस भी जारी कर जवाब मांगा है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने मराठा आरक्षण कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाई, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि मराठा समुदाय को 2014 से पूर्व प्रभावी तौर पर आरक्षण देने वाले बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के पहलू को लागू नहीं किया जाएगा।

पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें से एक जे. लक्ष्मण राव पाटिल की थी, जिसमें उन्होंने मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी कानून को बरकरार रखने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी।

गौरतलब है कि बंबई हाईकोर्ट ने मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण को बरकरार रखते हुए राज्य विधानसभा की तरफ से पारित किए गए 16 प्रतिशत की दर को कम कर 12-13 प्रतिशत किया गया। महाराष्ट्र सरकार ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 64-65 फीसदी आरक्षण दिया है जो देश में तमिलनाडु के बाद दूसरा ऐसा राज्य है।

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