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महात्मा गांधी से 55 साल पहले स्वामी दयानंद ने किया नमक कानून का विरोध

Update: 2018-10-25 07:56 GMT

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को यहां आर्य समाज के चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय महाकुंभ का उद्घाटन किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल देवव्रत, सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद आदि मौजूद रहे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि महात्मा गांधी से 55 साल पहले स्वामी दयानंद ने नमक कानून का विरोध किया था। उन्होंने 1875 में सत्यार्थ प्रकाश में नमक कानून का विरोध किया था। उसके बाद 1930 में महात्मा गांधी ने उसे स्वीकार किया। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन को आगे बढ़ाने में नमक आंदोलन किया। राष्ट्रपति ने त्योहारों के मद्देनजर सामाजिक संगठनों से लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण की समस्या बेहद गंभीर हो चुकी है| ऐसे में सामाजिक संस्थाओं को लोगों में इस बात की जागरूकता पैदा करनी चाहिए कि वह त्योहारों को ऐसे मनाएं जिससे पर्यावरण को नुकसान न हो। उन्होंने समाज में महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर कहा कि हम आज महिलाओं के समान अधिकारों की बात कर रहे हैं| इसी बात को स्वामी दयानंद ने 19वीं सदी में उठाते हुए महिलाओं की समान अधिकारों का मंत्र दिया था| असल में हम आज उनके ही विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा समाज सुधार महिला सशक्तिकरण पुनर्जागरण के लिए दिए गए महर्षि दयानंद के विचार आज भी प्रासंगिक हैं| महर्षि दयानंद के आदर्शों से करोड़ों लोगों के चरित्र का निर्माण हुआ है।

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