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कपिल सिब्बल बोले - सीएए के विरोध के लिए नहीं मिली पीएफआई से धनराशि

Update: 2020-01-27 14:57 GMT
File Photo

नई दिल्ली। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आज उन मीडिया रिपोर्टो का खंडन किया कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान उन्हें केरल के मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से बड़ी धनराशि मिली थी।

सिब्बल ने इस आशय की मीडिया रिपोर्टों का खंडन करते हुए सोमवार को कहा कि पीएफआई की ओर से उन्हें एक मुकदमे में वकालत की एवज में धनराशि अवश्य मिली थी। केरल में हिन्दू से मुसलमान बनी एक युवती हादिया के मुकदमे में वकालत के सिलसिले में उन्हें यह धनराशि मिली थी। धनराशि का भुगतान अगस्त 2017 और मार्च 2018 के बीच हुआ था।

मीडिया रिपोर्टों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के हवाले से कहा गया था कि सिब्बल को पीएफआई की ओर से 77 लाख रुपये की राशि दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के दो अन्य अधिवक्ताओं इंदिरा जयसिंह और दुष्यंत दवे को धनराशि के भुगतान की बात भी कही गई थी। इंदिरा जयसिंह ने इन रिपोर्टों का पूरी तरह खंडन करते हुए कहा कि उन्हें कभी भी पीएफआई से कोई धनराशि नही मिली।

मीडिय रिपोर्टों में कहा गया कि नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) कानून के खिलाफ देश में चल रहे आंदोलन की अवधि के दौरान पीएफआई की ओर से 120 करोड़ रुपये की धनराशि विभिन्न खातों में जमा कराई गई थी। ये खाते पश्चिम उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के बैंकों में थे तथा आनन-फानन में इस धनराशि को संबंधित लोगों ने निकाल लिया। ये वही जिले हैं जहां नए कानून को लेकर सबसे अधिक आंदोलन हुआ था।

इस बीच, पीएफआई ने भी इन आरोपों का खंडन किया है कि सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलन को उसकी ओर से धन मुहैया कराया जा रहा है। पीएफआई के महासचिव मोहम्मद अली जिन्ना ने इन आरोपों के संबंध में कहा कि हादिया मुकदमें के सिलसिले में वर्ष 2017 में कुछ वकीलों को भुगतान किया गया था। पीएफआई ने केंद्र सरकार को चुनौती दी कि वह सीएए विरोधी आंदोलन में पीएफआई की ओर से धन मुहैया कराने के आरोपों को सिद्ध करे।

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