इतिहास गढने की राह पर निकल पड़ा पार्कर यान

नासा का सूर्य स्पर्श अभियान

Update: 2018-08-13 06:06 GMT

नई दिल्ली। अमेरिका के स्थानीय समयानुसार रात करीब तीन बजकर इकतीस मिनट पर नासा का पार्कर सोलर प्रोब इतिहास बनाने की राह पर निकल गया। जब अमेरिका के लोग गहरी नींद में थे तब नासा का यह ऐतिहासिक यान अपने सफर पर निकला। यह 85 दिन बाद 5 नवंबर को सूर्य की कक्षा में पहुंचेगा। सूर्य की पृथ्वी से दूरी करीब 15 करोड़ किमी है। यान को सूर्य से 61 लाख किमी का फासले पर स्थापित किया जाएगा। नासा के लिए यह काफी अहम मिशन है। फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से एलियांस डेल्टा-4 रॉकेट के जरिये इसे इस ऐतिहासिक सफर भेजा गया है। यह यान नासा के सबसे भारी यान में से एक है। स्थानीय समयानुसार सुबह करीब साढ़े पांच बजे इसमें लगे सोलर पैनल खोल दिए गए थे। यह सूरज की रोशनी से ऊर्जा लेकर इसको आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। पार्कर सोलर प्रोब की यान की ताकत का अंदाजा इस बात से भी आंका जा सकता है कि मार्स मिशन की ओर निकले यान की तुलना में यह पचास गुणा अधिक ऊर्जा पैदा करता है। इसका वजन कर करीब 15 पाउंड है और आकार की बात करें तो यह एक कार की बराबर है।

आठ वर्षों की कड़़ी मेहनत का नतीजा

ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई भी यान सूरज के इतने करीब पहुंचने के मिशन पर निकला है। यान करीब 62.7 फीट लंबा है। इस परियोजना के मिशन वैज्ञानिक एडम सजाबो के मुताबिक इस मिशन के लिए सैकड़ों इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने आठ साल तक काम किया है। यह यान करीब 430,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरेगा। इस मिशन की एक बड़ी खासियत ये भी है कि सूरज के नजदीक जाते हुए पार्कर सोलर प्रोब नजदीकी ग्रह वीनस के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल करेगा। पूरे मिशन के दौरान यह यान करीब सात बार वीनस से होकर गुजरेगा। वैज्ञानिक सजाबो का कहना है कि इस यान और इसमें लगी मशीनों को सूर्य की तपन से बचाने के लिए फिलहाल कोई तकनीक नहीं है। इसके बावजूद यान पर इससे बचाव के उपाय के तहत शील्ड लगाई गई है। यह शील्ड यान के ऊपरी हिस्से पर लगाई गई है। इसकी वजह से यान के अंदर की मशीन काफी हद तक ठंडी रह सकेगी।

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