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गरीबों के लिए मकान का सपना हो सकेगा पूरा

-33वीं जीएसटी परिषद की बैठक की सिफारिशें -हाउसिंग पर जीएसटी को लेकर किया फैसला

Update: 2019-02-24 15:06 GMT

नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) काउसिंल ने अपनी 33वीं बैठक में गरीब लोगों के मकान के सपने को पूरा करने में एक बड़ा कदम उठाया है। अर्फोडेबल हाउसिंग को लेकर जीएसटी काउंसिल ने बड़ा फैसला लेते हुए उस पर जीएसटी दर 01 फीसदी निश्चित की है। वहीं आम लोगों के लिए आवासीय परियोजनाओं पर जीएसटी की दर मात्र 5 फीसदी रखी है। आवासीय क्षेत्र में जीएसटी की नई दर 01 अप्रैल,2019 से लागू हो जाएगी।

रविवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में नई दिल्ली में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में रियल इस्टेट क्षेत्र में जीएसटी दर को लेकर फैसला हुआ। काउंसिल ने माना कि रियल एस्टेट क्षेत्र राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में सबसे बड़ा योगदानकर्ताओं में से एक है और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान करता है। सरकार के '2022 तक सभी के लिए आवास' संकल्प के मुताबिक यह कल्पना है कि देश के प्रत्येक नागरिक के पास एक घर होगा और देश के शहरी क्षेत्र मलिन बस्तियों से मुक्त होंगे। इसीलिए रियल एस्टेट क्षेत्र के आवासीय खंड को बढ़ावा देने के लिए, जीएसटी परिषद द्वारा 33 वीं बैठक में सिफारिशें की गईं कि किफायती आवासीय परिसंपत्तियों पर 01 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया जाएगा। वहीं गैर-किफायती आवासीय परिसंपत्तियों पर 5 फीसदी की दर से जीएसटी लागू होगा।

जीएसटी काउंसिल के मुताबिक किफायती आवास की परिभाषा में गैर-महानगरीय शहरों/कस्बों में 90 वर्गमीटर तक के आवासीय संपत्ति और महानगरीय शहरों में 60 वर्गमीटर का फ्लैट जिनकी कीमत 45 लाख रूपये तक हो, को शामिल किया गया है। महानगरों में काउंसिल ने बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली एनसीआर(दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव, फरीदाबाद तक सीमित हैं), हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई(पूरे एमएमआर) को शामिल किया है।

रियल इस्टेट पर जीएसटी काउंसिल के इस फैसले से मकान खरीदारों को बेहतर मूल्य मिल सकेगा। वहीं किफायती आवास पर 01 फीसदी जीएसटी लागू होने से गरीबों के लिए मकान का सपना पूरा हो जाएगा। जबकि लॉन्ग टर्म लीज़, एफएसआई आदि पर जीएसटी छूट से रियल इस्टेट सेक्टर में कैश फ्लो बढ़ेगा। साथ ही पूरे सेक्टर के लिए टैक्स ढांचा पहले की तुलना में सरलीकृत होगा। 

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