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केंद्र सरकार ने लगाया ई-सिगरेट पर प्रतिबंध

Update: 2019-09-18 11:46 GMT

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने भारत में अभी तक कम प्रचलित ई-सिगरेट या इलेक्ट्रोनिक सिगरेट पर समय रहते प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। विदेशों खासकर अमेरिका में किए गए अध्य्यन से इससे स्वास्थ्य संबंधित नुकसान उजागर हुए हैं और पता चला है कि युवा 'कूल' बनने के आकर्षण में इस नई लत का शिकार हो रहे हैं। नया प्रतिबंध ई-हुक्का पर भी लागू होगा।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के लिए अध्यादेश लाने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी। अध्यादेश को राष्ट्रपति से अनुमति मिलने के बाद ई-सिगरेट उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, बिक्री, वितरण और विज्ञापन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा।

ई-सिगरेट के प्रभाव के अध्ययन और आगे की नीति तैयार करने के लिए सरकार की ओर से मंत्रिसमूह का गठन किया गया था, जिसकी अध्यक्षता केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। सीतारमण ने सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए दिल्ली में आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि अमेरिका में 30 लाख लोग ई-सिगरेट का सेवन करते हैं। युवा इसे 'स्टाइल स्टेटमेंट' या 'कूल' मानते हुए इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। जिसमें पिछले सालों में 9 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। इसके उपयोग के बारे में कोई लम्बे समय का अध्ययन नहीं है, लेकिन कुछ रिपोर्टों के मुताबिक यह सेहत के लिए खासकर मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे निकलने वाला निकोटिन मिला धूआं आस-पास के लोगों को भी प्रभावित करता है।

केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि समय रहते एक नए 'अडिक्शन' को बढ़ने से रोकना सरकार का एक बड़ा कदम है। धीरे-धीरे सरकार परंपरागत सिगरेट के उपयोग को भी सीमित बना रही है। स्वास्थ्य सचिव प्रीति सुदान ने इस संबंध में कहा कि ई-सिगरेट को पहले परंपरागत सिगरेट के उपयोग से होने वाले नुकसान को कम करने और उसकी लत छोड़ाने के लिए लाया गया था। लेकिन यह उलटा नई नुकसान दायक आदत बनकर उभरने लगी है।

उन्होंने बताया कि नए अध्यादेश में जुर्माने और सजा दोनों का प्रावधान है। ई-सिगरेट पर लगे प्रतिबंध में उल्लंघन करने पर एक साल की सजा और एक लाख का जुर्माना है। बार-बार उल्लंघन पर तीन साल की कैद और 5 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा। (हि.स.)

 


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