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द्रमुक में घमासान शुरू

Update: 2018-08-13 14:19 GMT

नई दिल्ली। द्रमुक के संस्थापक एम करुणानिधि की मौत को एक सप्ताह भी नहीं बीता है कि बड़े बेटे एम के अलागिरी और छोटे बेटे एम के स्टालिन के बीच पार्टी नेतत्व पर कब्ज़ा करने को लेकर घमासान शुरू हो गया है।

चेन्नई में मरीना बीच में अपने पिता के स्मारक में संवाददाताओं से बात करते हुए, अलागिरी ने दावा किया कि पार्टी के सभी असली समर्थक उनके साथ हैं। उपयुक्त समय पर उचित जवाब देंगे।उनकी राज्य के दक्षिण छेत्र विशेषकर मदुरै पर अच्छी पकड़ है। वह पूर्व मनमोहन सिंह सरकार मे रसायन एवम उर्वरक मंत्री भी रह चुके हैं। उनका कहना है कि स्टालिन ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे हैं और वह पार्टी का नेतत्व संभालने के सही हक़दार नहीं हैं।

दूसरी ओर करुणानिधि ने अपने गिरते स्वास्थ्य और वृद्धावस्था को ध्यान मे रखते हुए अपने छोटे बेटे एमके स्टालिन को कार्यकारी अध्यक्ष और राजनीतिक वारिस घोषित कर दिया था।

सूत्रों का कहना है कि 14 अगस्त को पार्टी की कार्यकारी समिति की बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें करुणानिधि को श्रद्धांजलि देने के लिए एक शोक प्रस्ताव पारित किया जायेगा। सूत्रों का यह भी कहना है कि अगले महीने पार्टी की आम परिषद् की बैठक आयोजित होने की संभावना है जिसमें वर्ष 2013 से पार्टी की बागडोर अपने हाथ में रखने वाले स्टालिन को अध्यक्ष घोषित कर दिया जायेगा।

अलागिरी को चार साल पहले पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। आरके नगर विधान सभा सीट के उपचुनाव में अलागिरी ने हार के लिए स्टालिन को दोषी ठहराया था।

डीएमके के महासचिव के अंबालाग ने कहा है कि अलागिरी के पास स्टालिन पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वह द्रमुक का हिस्सा नहीं है।

नेतृत्व स्तर की बात करें, तो पिछले डेढ़ साल में स्टालिन को अपने बड़े भाई एम के अलागिरि से चुनौती मिलती रही है। पार्टी के अन्य बड़े नेता और करुणानिधि परिवार के सदस्य राज्यसभा सांसद कनिमोझी, ए राजा और दयानिधि मारन से फिलहाल स्टालिन को कोई खतरा नहीं है. क्योंकि, यह तीनों नेता दिल्ली के सत्ता गलियारों में ज्यादा सक्रिय हैं. लेकिन, अलागिरि स्टालिन को आगे भी चुनौती देंगे, इसकी पूरी संभावना है।

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