नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में गांजे के इस्तेमाल पर रोक और उसे अपराध करार देने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि हम इसमें क्या कर सकते हैं तब याचिकाकर्ता ने कहा कि कानून में बदलाव लाकर। तब कोर्ट ने कहा कि हमारे पास इसका अधिकार नहीं है। उसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
याचिका में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट(एनडीपीएस) के प्रावधान को चुनौती दी गई थी। याचिका ग्रेट लेजिसलेशन इंडिया मूवमेंट ट्रस्ट नामक संस्था ने दायर किया है। याचिका में कहा गया था कि गांजे पर दूसरे खतरनाक रसायनों की तरह रोक लगाना मनमाना और अवैज्ञानिक है। याचिका में कहा गया था कि कई रिसर्च में गांजे में चिकित्सकीय गुण पाए गए हैं। याचिका में कहा गया था कि रिसर्च में पाया गया है कि गांजा कैंसर और एचआईवी जैसी गंभीर बीमारियों की रोकथाम में उपयोगी है। इस देश में हर साल औसतन आठ लाख लोग कैंसर की बीमारी से जबकि करीब 82 हजार लोग एचआईवी से मरते हैं। ऐसे में गांजे पर से पूर्ण रोक गलत है।
याचिका में कहा गया था कि गांजा दर्द निवारक दवा की तरह भी काम करता है। यह पार्किंसन जैसी बीमारियों से उबरने में भी मदद करता है। याचिका में कहा गया था कि गांजे की फसल का कई उद्योगों में इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर इसका औद्योगिक इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाती है तो इससे किसानों को भी काफी लाभ होगा।
याचिका में कहा गया था कि एनडीपीएस एक्ट को लागू करते समय संसद ने इसके सकारात्मक पहलुओं और उसके इतिहास पर गौर नहीं किया। याचिका में कहा गया था सरकार भांग की दुकान चलाने की अनुमति देती है, जबकि भांग और गांजा दोनों में एक ही सामग्री होती है। एनडीपीएस एक्ट के कई प्रावधान संविधान की धारा 14, 19, 21, 25 और 20 का उल्लंघन करती हैं। (हि.स.)