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बुलेट ट्रेन : भूमि अधिग्रहण के विरोध में हैं गुजरात व महाराष्ट्र के कुछ गांव - रेल मंत्रालय

Update: 2018-08-10 09:53 GMT

नई दिल्ली। रेल मंत्रालय ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ गांवों के किसान भूमि देने को तैयार नहीं हैं। वहां भूमि अधिग्रहण के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं।

रेल राज्य मंत्री राजेन गोहेन ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना (एमएएचएसआर) के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया उन सभी 12 जिलों में शुरू की गई है, जहां से परियोजना गुजरती है। गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ गांवों में स्थानीय लोगों द्वारा विरोध की कुछ घटनाएं हुई हैं। यह विरोध मुख्यतः परियोजना के लाभ और भूमि के लिए मुआवजे पर स्पष्टता की कमी के कारण है।

उन्होंने बताया कि मुम्बई-अहमदाबाद द्रुत गति रेल कॉरीडोर परियोजना के लिए जिन किसानों या अन्य लोगों की भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, उनका भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन के लिए क्षतिपूर्ति, संबंधित राज्यों में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित क्षतिपूर्ति और पारदर्शिता का अधिकार (आरएफसीटीएलएआरआर) अधिनियम, 2013 द्वारा शासित होता है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 508 किलोमीटर की मुंबई-अहमदाबाद रेल परियोजना को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए इस साल के अंत तक भूमि अधिग्रहण का काम पूरा करना है और 2019 से इस परियोजना पर निर्माण कार्य शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। गुजरात और महाराष्ट्र के किसानों के भूमि अधिग्रहण का विरोध करने से परियोजना को समय पर पूरा करना केंद्र सरकार के लिए चुनौती बनता जा रहा है। 

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