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लोकसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना को दे सकती है इतनी सीट

Update: 2018-09-03 06:41 GMT

नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने अब अपने नाराज प्रमुख सहयोगियों को मनाने की हर तरह से कोशिश शुरू कर दी है। इसके लिए वह जदयू से लगायत शिवसेना ,अन्नाद्रमुक तक को पटाने की हर संभव कोशिश कर रही है। इसके अलावा उस बीजद को भी मनाने की जुगत लगा रही है जो अटल बिहारी वाजपेयी के समय 2009 तक भाजपा की सहयोगी पार्टी थी, राजग में थी। यदि बीजद राजग में नहीं आता है, अभी जिस तरह से बाहर से समर्थन दे रही है, उस तरह से समर्थन देती रहे तो भी चलेगा वाला संबंध बरकरार रखने की रणनीति बन गई है। सूत्रों का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को डर सबसे बड़ा झटका उ.प्र. के बाद महाराष्ट्र में लगने का है। यदि शिवसेना ने अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय किया तब तो यह झटका और भी तगड़ा लगेगा। सीटें बहुत कम हो जाएंगी। ऐसा नहीं होने पाये, इसके लिए भाजपा व उसके वे बड़े केन्द्रीय नेता जो कुछ माह पहले शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के फोन पर नहीं आ रहे थे, कह देते थे कि जो बात करनी है तो फलां मंत्री से कर लीजिए, वे अब लाइन पर तो आने ही लगे हैं, मुंबई यात्रा का कार्यक्रम बनाने पर पहले से उद्धव ठाकरे से मिलने का समय भी मांगने लगे हैं। लेकिन दूध से जले उद्धव ठाकरे को मालूम है कि यह सब आगामी लोकसभा चुनाव में मिलकर लड़ने की शातिर चाल के तहत किया जा रहा है। सो, वह भी सतर्क हैं। उनके करीबी जनों का कहना है कि उद्धव ठाकरे ने इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा व उसके उन बड़े केन्द्रीय नेताओं को सबक सिखाने की ठानी है, जिनने उनसे सीधे बात नहीं किया था। उनका मानना है कि जब तक लोकसभा सभा में भाजपा की सीटें कम नहीं होंगी, तब तक उसके सर्वेसर्वा द्वय मतलब निकल जाने के बाद सहयोगियों की नहीं सुनने, उनके फोन पर नहीं आने, मिलने का समय नहीं देने जैसे बेईज्जत करने वाला कार्य करते रहेंगे। शिवसेना के एक सांसद का कहना है कि उद्धव ठाकरे के इस रूख से भाजपा के रणनीतिकार व बड़े साहब सशंकित हैं। इससे कारण उनको (ठाकरे) मनाने का हर उपक्रम हो रहा है।

इस बारे में शिवसेना के एक पूर्व पदाधिकारी का कहना है कि शिव सेना के वरिष्ठ सांसद संजय राउत जो कई टर्म से राज्य सभा सांसद हैं, उनको भाजपा ने बड़ा बंगला नहीं दिया था, जबकि वह बड़े बंगले के हकदार रहे हैं। उनको फिरोज शाह रोड में छोटा सा फ्लैट मिला हुआ था। जबकि भाजपा के बहुत से नेता जो पहली बार सांसद बने हैं उनको कोठी दे दी गई। जब शिवसेना ने भाजपा से कड़ी नाराजगी जतानी शुरू की है और आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की धमकी दी है, तब भाजपा के आला नेताओं ने वह सब करना शुरू कर दिया है, जो पहले किये होते तो यह नौबत नहीं आती। शिव सेना के बुजुर्ग कार्यकर्ता रवि रावले का कहना है कि भाजपा के बड़े नेता तब तो अकड़ में थे, और हवा में उड़ रहे थे। अब भाजपा की केन्द्र सरकार ने शिवसेना के वरिष्ठ सांसद संजय राउत को रेस कोर्स के पास सफदर जंग लेन में बड़ा बंगला एलाट किया गया है।

सूत्रों का कहना है कि यह तो बहुत छोटा कार्य है| अब शिवसेना को 2012 के लोकसभा चुनाव के समय जितनी लोकसभा की सीटें दी गई थीं, उतनी सीटें देने की बात हो रही है। उस समय के सीटों के बंटवारे के फार्मूले पर भाजपा लोकसभा और विधानसभा में भी सीटें देने के लिए लगभग राजी हो गई है। यदि शिव सेना अड़ी रही तो उसको स्वाभिमानी पार्टी वाली 02 सीटें भी दी जा सकती हैं।

मालूम हो कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 24 सीटों पर खुद लड़ी थी, 20 सीटें शिवसेना को दी थी। बाकी 04 सीटें स्वाभिमानी पार्टी और रिपब्लिक पार्टी को दे दी थी। जिसमें से स्वाभिमानी पार्टी ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया है। ऐसे में भाजपा उसकी 02 सीटें शिवसेना को दे सकती है। क्योंकि भाजपा को महाराष्ट्र में 2014 के लोकसभा चुनाव में जीती 20 लोकसभा सीटें बचाये रखने के लिए शिवसेना के साथ की दरकार है। अब 2014 वाली तबकी यूपीए सरकार विरोधी लहर नहीं है। अब तो केन्द्र में भाजपा के राज करते 04 वर्ष से अधिक हो गए। केन्द्र की वर्तमान सरकार पर ऊंगली उठने लगी है| राफेल जैसे बड़े रक्षा सौदे में आरोप लगने लगे हैं। यह सब 2019 के लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनेगा। महाराष्ट्र में 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व राकांपा मिलकर लड़े थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में अलग – अलग लड़े थे| अब वे दोनों एकजुट हो गए हैं| इस बार उनके साथ सपा, बसपा, स्वाभिमान पक्ष का भी तालमेल होने की बात चल रही है। यह तालमेल हो गया तब इसके कारण, महाराष्ट्र में भाजपा व शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा तो भी नुकसान होगा। अलग-अलग लड़े तब तो दोनों ही साफ हो जायेंगे। यही वह भय है जिसके कारण भाजपा के वे बड़े जो बहुमत व सत्ता के गर्व में शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से फोन पर बात करने से मना कर दिये थे ,अब उनके लिए पलक पांवड़े बिछाये हुए हैं। इस बारे में भाजपा के राज्यसभा सांसद लाल सिंह बड़ोदिया का कहना है कि शिव सेना हमारी पार्टी की पुरानी सहयोगी है। परिवार बड़ा होता है तो उसमें कुछ न कुछ तो लगा ही रहता है। वह सब आपस में मिल बैठकर ठीक कर लिया जाता है। उसी तरह से शिव सेना के साथ भी भाजपा सब ठीक कर लेगी। 

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