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निजी मामलों में आरटीआई के इस्तेमाल से बचें

Update: 2018-10-12 14:07 GMT
Image Credit : PIB INDIA Tweet

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। राष्ट्रतपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून आम जनता के लिए एक कारगर हथियार है लेकिन निजी मामलों में इसके बेजा इस्तेमाल से बचना चाहिए।

राष्ट्रपति कोविंद ने यहां केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 13वें वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हमें निजी मामलों को सुझलाने के लिए आरटीआई तंत्र के इस्तेमाल को लेकर सावधान रहना चाहिए। खास तौर पर ऐसे समय में जब निजता या गोपनीयता को लेकर बहस तेज है| इसलिए हमें संतुलन बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आरटीआई खुद को साबित करना नहीं है। यह भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने, प्रशासन की प्रणालियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और आम नागरिकों की क्षमताओं के निर्माण के लिए उन्हें निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए बड़ी कहानी का हिस्सा है। लोकतंत्र में बहुत अधिक जानकारी जैसी कोई चीज नहीं है। सूचना का अधिभार हमेशा सूचना घाटे के लिए बेहतर है। उन्होंने कहा कि भारत ने आरटीआई अधिनियम के तहत पांच लाख सार्वजनिक सूचना अधिकारी नियुक्त किए हैं। हर साल सूचना पाने के लिए लगभग 60 लाख आवेदन मिलते हैं जो संख्या आश्चर्यजनक है।

कोविंद ने कहा कि लोगों को यह जानने का अधिकार है कि उन्हें कैसे शासित किया जा रहा है, सार्वजनिक धन कैसे खर्च किया जा रहा है, सार्वजनिक और राष्ट्रीय संसाधन कैसे तैनात किए जा रहे हैं, सार्वजनिक सेवाओं को कैसे पहुंचाया जा रहा है और कैसे सार्वजनिक कार्य और कल्याण कार्यक्रम किए जा रहे हैं।

सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार को समाप्त कर पारदर्शिता लाने के डिजिटल तकनीक, आधार कार्ड और लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे हस्तांतरण का जिक्र करते हुए कहा कि खनन ब्लॉक की ई-नीलामी को आगे बढ़ाने के लिए इंटरनेट और डिजिटल अर्थव्यवस्था का उपयोग किया गया है। माल और सेवाओं की सार्वजनिक खरीद के लिए सरकार ने ई-मार्केट या जीईएम पोर्टल बनाने में मदद की है। जन-धन खाते, आधार आधारित अद्वितीय पहचान और मोबाइल फोन ने योजनाओं के लाभार्थियों को प्रत्यक्ष बैंक हस्तांतरण में मदद की है।

कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह, केंद्रीय सूचना आयोग के सूचना आयुक्त प्रो. एम एस आचार्युलु, सूचना आयुक्त यशोवर्धन आजाद के अलावा केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोग के सभी वर्तमान और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त, केंद्रीय जन सूचना अधिकारी तथा अन्य सरकारी अधिकारी भी मौजूद रहे। 

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