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कृषि को मुनाफे का सौदा बनाने के लिए उठाए जाएं ठोस कदम

Update: 2018-10-07 14:23 GMT

नई दिल्ली/हैदराबाद/स्वदेश वेब डेस्क। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने किसानों के विकास को देश का असल विकास करार देते हुए कृषि को अनिवार्य रूप से लाभप्रद बनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों, कृषि अनुसंधान केंद्रों एवं कृषि विज्ञान केंद्रों को अनिवार्य रूप से कृषि को टिकाऊ तथा लाभदायक बनाने के लिए ठोस प्रयास करने चाहिए।

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने यहां 14वें "रायथु नेस्थम" राष्ट्रीय पुरस्कार वितरण के बाद कहा कि यदि खेती को लाभदायक और व्यावहार्य नहीं बनाया तो किसान खेती छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि केवल उत्पादकता बढ़ाने पर ही नहीं, इनपुट लागत को कम करने पर भी जोर दिया जाना चाहिए। उर्वरकों, कीटनाशकों, बिजली एवं जल के अंधाधुंध उपयोग पर भी अंकुश लगाए जाने की आवश्यकता है।

कृषि को लाभदायक बनाने पर राष्ट्रीय परामर्श के संचालन के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वैज्ञानिकों को अनिवार्य रूप से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अनुसंधान के परिणाम सीधे किसानों तक पहुंचे।

यह देखते हुए कि विख्यात कृषि वैज्ञानिक सुभाष पालेकर द्वारा परिवर्तित शून्य बजट प्राकृतिक खेती लाभदायक साबित हुई है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह लागत में कमी लाने तथा किसानों को एक स्थायी आय उपलब्ध कराने में सहायक होगी। यह कीटनाशकों के दुष्प्रभावों से भी उपभोक्ताओं की रक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि वास्तव में सामान्य खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती के लिए केवल 10 प्रतिशत जल और बिजली की आवश्यकता होगी।

उपराष्ट्रपति ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक अध्ययन से यह प्रदर्शित हुआ है कि ऐसे किसानों ने आत्महत्या नहीं की है जिन्होंने कुक्कुट पालन, दुग्ध पालन एवं मछली पालन जैसी संबद्ध गतिविधियों की ओर विविधीकृत किया था।

इससे पहले उपराष्ट्रपति नायडू ने एशियाई जठरांत्र विज्ञान संस्थान एवं स्वर्ण भारत ट्रस्ट (एसबीटी) द्वारा हैदराबाद में एसबीटी के परिसर में आयोजित निःशुल्क चिकित्सा शिविर का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने चिकित्सकों से जीवनशैली बीमारियों द्वारा पैदा होने वाले खतरों पर लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने की अपील की है तथा स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त चिकित्सा सेवाओं की कमी पर क्षोभ जताते हुए उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में 5 करोड़ परिवारों को तथा शहरी क्षेत्रों में 2.5 करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध कराने के लिए आयुष्यमान भारत आरंभ करने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की। यह योजना प्रति वर्ष, प्रति परिवार 5 लाख रुपए तक का बीमा उपलब्ध कराएगी। उन्होंने प्रति पांच हजार की आबादी के लिए एक प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र स्थापित करने तथा उनकी संख्या को डेढ़ लाख तक बढ़ाने की योजना के लिए भी सरकार को बधाई दी।

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