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देश में 'दो बच्चे' की नीति अपनाने संबंधी याचिका खारिज

Update: 2018-03-09 00:00 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश की बढ़ती जनसंख्या के खतरे से निपटने के लिए “दो बच्चे” की नीति अपनाने के लिए दिशानिर्देश देने की मांग करनेवाली याचिका खारिज कर दी है। याचिका जीवन बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम वाजपेयी ने अपने वकील शिवकुमार त्रिपाठी के जरिये दायर की थी।

याचिका में कहा गया था कि देश में प्रत्येक परिवार में बच्चों की संख्या दो तक सीमित करने का प्रावधान करना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि सरकार को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सिर्फ उन्हीं लोगों को देना चाहिए जो दो बच्चे की नीति का पालन करते हैं।

याचिका में कहा गया था कि चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। इसलिए देश में प्राकृतिक संसाधनों जैसे कि पानी, हवा और अनाज आदि का गंभीर दबाव है। गरीबी और भुखमरी बढ़ रही है और वन क्षेत्र में कमी हो रही है। भारत में दुनिया का सिर्फ दो फीसदी वन क्षेत्र है जबकि इसकी जनसंख्या दुनिया की कुल जनसंख्या की 18 फीसदी है।

याचिका में चीन द्वारा जनसंख्या कम करने के लिए एक बच्चे के आदर्श को अपनाने का उदाहरण दिया गया था। याचिका में कहा गया था कि चीन पिछले 20 साल में लगभग 300 मिलियन जनसंख्या बढ़ोतरी को रोकने में सक्षम हुआ है| वहां इसके लिए विभिन्न तरीकों को अपनाया गया है। चीन में जन्म नियंत्रण के रूप में नसबंदी और गर्भपात शामिल हैं।

याचिका में देश के हर परिवार के लिए दो बच्चे के आदर्श को अपनाने के लिए एक उपयुक्त कानून बनाने का केंद्र को दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि आंध्रप्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, महाराष्ट्र और राजस्थान में पहले से ही दो बच्चों की नीति अपनाई जा चुकी है और यहां उसका लाभ भी मिला है। इसी नीति को देशभर के लिए बढ़ाया जाना चाहिए। 

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