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चिंतनीय : दिल्ली कचरे के टाइम बम पर बैठी है

Update: 2018-03-07 00:00 GMT

ठोस कचरे के निस्तारण के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही दिल्ली सरकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की इस बात के लिए खिंचाई की है कि ठोस कचरे के समयबद्ध निस्तारण के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली कचरे के टाइम बम पर बैठी हुई है| इस समस्या का समाधान जल्द निकाला जाना जरूरी है। दिल्ली में प्रदूषण के मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की।

पिछले 21 फरवरी को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि दिल्ली में इस साल 1 अप्रैल से यूरो 6 पेट्रोल-डीजल उपलब्ध होगा। यूरो 6 ईंधन की बिक्री 1 अप्रैल 2020 से होनी थी। लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए 2 साल पहले ही इसकी बिक्री का फैसला किया है। अभी दिल्ली में यूरो 4 पेट्रोल बेचा जा रहा है।

पिछले 6 फरवरी को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार जब 845 पेजों का हलफनामा कोर्ट को सौंपने जा रही थी तब कोर्ट ने नाराज होते हुए कहा कि हम कचरा ढोनेवाले ( गारबेज कलेक्टर ) नहीं हैं । इस कचरे को हमारे पास मत फेंकिए। कोर्ट की नाराजगी की वजह थी कि इतना बड़ा हलफनामा पूर्ण नहीं था। कोर्ट ने हलफमाना अस्वीकार कर दिया था और कहा था कि हलफनामा मोटी किताब की शक्ल में न दाखिल की जाए बल्कि ऐसी हो जिसे आसानी से पढ़ा जाए और समझा जाए।

कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वो तीन हफ्ते के अंदर हलफनामा पेश करें जो चार्ट के फॉर्म में हो। उसमें ये बताया जाए कि किन-किन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स 2016 के मुताबिक राज्य स्तरीय सलाहकार बोर्ड बनाया है। कोर्ट ने केंद्र से कहा कि चार्ट में राज्यों द्वारा गठित सलाहकार समिति के सदस्यों के नाम और बैठकों का भी जिक्र होना जरुरी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम ये नहीं चाहते कि दिल्ली पूरे देश का आदर्श बने। जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब है कि इसका अनुकरण देश का कोई शहर नहीं करना चाहेगा।

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