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संगोष्ठी: ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठे सवाल, वैकल्पिक व्यवस्था करने की वकालत

Update: 2018-02-20 00:00 GMT

नई दिल्ली। मतदान के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की विश्वसनीयता के बारे में यहां आयोजित एक संगोष्ठी में वैज्ञानिकों, राजनीतिक नेताओं और साइबर विशेषज्ञों ने सवाल खड़े किए। इन लोगों का मानना था कि ईवीएम हैक की जा सकती है तथा लोगों की राय को बेमानी बनाया जा सकता है। वक्ताओं ने ईवीएम से जुड़े सभी पहलुओं की व्यापक जांच पड़ताल पर जोर देते हुए कहा कि ईवीएम के बारे में उठाए गए संदेहों को दूर होने तक मतदान की वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए। 

आम आदमी पार्टी (आप) की सोशल मीडिया के सदस्य इंजीनियर अंकित लाल ने कहा कि ईवीएम पर सबसे पहले देश में भाजपा के जीवीएल नरसिम्हा ने ही एक पुस्तक के माध्यम से सवाल उठाया था। हालांकि बाद में उस पुस्तक को बाजार से वापस कर लिया गया था। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बार-बार कहता है कि इतनी बड़ी संख्या में ईवीएम को कोई हैक नहीं कर सकता लेकिन सच्चाई ये है कि चुनाव परिणाम प्रभावित करने के लिए कुछ मशीनों को ही हैक करना होता है। 
वैज्ञानिक गौहर रजा ने कहा कि ईवीएम मशीन हैक हो सकती है इसलिए कई देशों ने इसे अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने आयरलैंड के एक चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि वहां एक प्रत्याशी को कुल वोटों से भी अधिक वोट पड़े थे। उन्होंने मतदाताओं को फीडबैक देने के लिए इस्तेमाल होने वाली मतदाता पावती रसीद यानी वोटर वेरिफायड पेपर ऑडिट ट्रायल (वीवीपीएटी) पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग 100 प्रतिशत वीवीपीएटी को गिनने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि यह मानकर चलना होगा कि मशीन से छेड़छाड़ संभव है इसलिए इसे हैक किया जा सकता है। 

पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर, सीपीआई की अमरजीत कौर, एस श्रीनाथ सहित अनेक वक्ताओं ने कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने जर्मनी, नीदरलैंड, यूके, इजरायल आदि का उदाहरण देते हुए कहा कि ईवीएम के सुरक्षित नहीं होने के कारण ही इन तमाम देशों ने ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर दिया है। 

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