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हिन्दू जीवन मूल्य अपनाने की आवश्यकता: सुरेश जी सोनी

Update: 2018-02-19 00:00 GMT


श्योपुर। जब-जब हिन्दू समाज में हिन्दू भावना कम हुई है, तब-तब समाज और देश टूटा है। श्योपुर में आयोजित किया गया यह हिन्दू सम्मेलन अपने जीवन में हिन्दू जीवन मूल्यों को लाने के लिए  है। उक्त उद्गार कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश जी सोनी ने व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता संत उत्तम स्वामी जी महाराज ने की। मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय खिलाड़ी पद्मश्री विजेन्द्र कुमार उपस्थित थे। सह सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी ने विशाल हिन्दू सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हम परंपराओं को भूल रहे हैं। इस दुनिया में बहुत देश हैं, परंतु सभी को अपना मानने वाली केवल हिन्दू संस्कृति है। वनवासियों के बीच जाकर अंग्रेजों ने यह भ्रम फैलाया कि जनजातियों का कोई धर्म नहीं होता, ये प्रकृति पूजक हैं, परंतु अंग्रेज भूल गए कि पूरा हिन्दू समाज ही प्रकृति पूजक है। उन्होंने कहा कि समाज नशे से दूर हो तो वह आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत होगा। इसके लिए सामाजिक नेतृत्व को और सामाजिक संस्थाओं को कार्य करना होगा। उन्होंने वनावासी समाज के बारे में कहा कि वनवासियों में कन्या भ्रूण हत्या नहीं होती, अगर कोई करता है तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाता है। शहरी लोग वनवासी बंधुओं के हाथ पकड़ें और वनवासी बंधु साथ दें तो फिर भारत पुन: शिखर पर होगा।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां भगवान मछली के रूप में अवतार लेता है मतस्य अवतार, कछुए के रूप में अवतार लेता है, कोरवा अवतार। आधा मनुष्य आधा पशु के रूप में अवतार लेता है, नरसिंह अवतार। जब हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद से पूछता है कि तेरा नारायण कहा हैं। तो कहता है सब जगह है, स्तम्भ में है क्या, कहता है हां, तब वह गदा मारता है तो पत्थर में से भी भगवान निकलते हैं। ऐसे मानने वाले हिन्दू समाज में जब यह बात आ गई। कोई किसी जाति के अंदर पैदा हुआ है तो हम उसे छुऐंगे नहीं। तो यह जो बात है कि व्यवहार में सब कहते हैं कि राम ने शबरी के झूठे बैर खाए, लेकिन हमारे घर के बगल में जो शबरी रहती है, उसे साथ हम केसे देखते हैं। अगर भगवान कण-कण में है तो किसी जात में कोई पैदा हो गया है तो उसे हम छुऐंगे नहीं, यह हिन्दू समाज के लक्षण है क्या? अगर हमारे गांव में पड़ोस में कोई बिना पढ़ा लिखा है, कोई गरीब है, कोई भूखा है, तो हम उसकी चिंता नहीं करते, यह क्या हिन्दू होने का लक्षण है। हिन्दू सम्मेलन के लिए पिछले महीनों में हुए कार्यक्रम समाज को इन हिन्दू जीवन मूल्यों की ओर लौटाने का कड़ा प्रत्यत्न है। और आज का यह प्रसंग केवल ताली बजाने का नहीं है, हर एक हिन्दू को अपने दिल के अंदर गहराई से सोचने का है किहम क्या थे आज क्या हो गए? कल को हम को क्या होना है। एक-एक व्यक्ति को प्रयत्न करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा आज-कल हिन्दुस्तान के अंदर बहुत सी ताकतें सक्रिय है जो छोटी-छोटी निष्ठाओं को हरा रही है। प्रचार कर रहीं है कि तुम हिन्दू नहीं हो। वनवासी समाज के बीच जाकर कहते हैं कि तुम गौंड हो, तुम सहरिया हो तुम हिन्दू नहीं हो, तुम भील हो हिन्दू नहीं हो। लेकिन वास्तव में किसी भी जाति का भाई हो अनुसूचित जनजाति का बंधु हो, अनादि काल से इस हिन्दू परम्परा से जुड़े रहे हैं। सांस्कृतिक रूप से, धार्मिक रूप से जुड़े रहे हैं। मैं आपको उदाहरण देता हूं भारत में सूरज जहां सबसे पहले उगता है पूर्व दिशा में अरुणाचल प्रदेश वहां पितुपिशु नाम की जनजाति है, जो भगवान कृष्ण की पत्नी रुकमणी के बड़े भाई रुकमी का वंशज मानते हैं। खेती करते समय किसान राम और लक्ष्मण की शपथ लेकर खेती करता है। हमारे समाज में अगर विषमताएं रहेंगी। छुआछुत में पड़े रहेंगे तो देश कभी एक नहीं रह सकता।

इसलिए हम संकल्प लें कि गाय को मानने वाले, कृष्ण को मानने वाले, कण-कण में भगवान को मानने वाले हिन्दू आगे से किसी जाति कर हर बंधु अपना भाई है, उसके दुख-दर्द को रोजमर्रा के अपने व्यवहार के अंदर प्रस्तुत करें। आज आवश्यकता इस बात की है कि अपने जनजाति क्षेत्र के छोटे-छोटे गांवों में जो लोग गरीब हैं, गरीबी दूरे करने के लिए सामाजिक संस्थाएं खड़ी हों, उनके अंदर शिक्षा का, संस्कार का, व्यसन मुक्ति का हर प्रत्यत्न करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एक अफसर जब गांव में शासकीय योजनाएं लेकर गया, तो महिलाओं ने कहा कि आप कुछ मत करिए, बस एक काम कीजिए शराब बंद करवा दीजिए। जो कुछ होता है शराब पीने के कारण होता है। उत्तराखण्ड की एक गांव की महिलाओं ने शराब बंद कर दी। उन्होंने कहा कि आज उस गांव के हर घर में मोटर साइकिल, स्कॉर्पियो आने लगीं हैं। कार्यक्रम को परम पूज्य उत्तम स्वामी जी और मुख्य अतिथि विजेन्द्र कुमार ने भी संबोधित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे परम पूज्य उत्तम स्वामी जी ने कहा कि हिन्दू धर्म ही है जो सभी का सम्मान करता है। सभी को सनातन धर्म का पालन करना चाहिए। उन्होंने रामायण का एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान राम ने शबरी के झूठे बेर खाकर नारी सम्मान का परिचय दिया था। जब श्रीराम वनवास से आयोद्धा लौटकर आए थे, तो उनकी माताओं ने उनके लिए 56 प्रकार के भोजन बनाए। भगवान श्री राम ने एक ग्रास खाया और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे, तब लक्ष्मण जी ने पूछा कि आप क्यों रो रहे हो, तब श्री राम ने कहा कि इस भोजन में वो स्वाद नहीं है जो, माता सबरी के झूठे बेरों में था। कार्र्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप मेंं उपस्थित हुए ओलम्पिक विजेता विजेन्द्र सिंह ने कहा कि हिन्दू कोई धर्म नहीं है, बल्कि यह जीवन शैली है। भारत युवाओं का देश है। यहां 60 प्रतिशत युवा है। उन्होंने अपने जीवन के घटित हुए एक घटनाक्रम को सुनाते हुए कहा कि जब एक प्रतियोगिता में भागीदारी करने के लिए मैं विदेश गया तो एक अंग्रेज ने मुझसे पूछा कि तुम्हारे धर्म में बहुत सारे भगवान है, तो क्या तुम कभी भ्रमित नहीं होते कि किसकी पूजा करनी है, तब मैने कहा कि हमारे यहां अगर बच्चा जब पड़ता है, तो माता सरस्वती की पूजा करता है। खेलता है तो जब हनुमान जी की पूजा करता है। मैं भी हिन्दू परिवार का ही बेटा हूं। सभी लोगों को देश और अपने परिवार के बारे में सोचना चाहिए। हमें विश्र विजेता बनना है।
 
बहुत खुशी हुई यहां आकर

 सेसईपुरा से आए रामदीन की आखों में पानी था। पर चेहरे पर एक आत्मविश्वास सहज ही उत्सुकता हुई। पूछा कैसा रहा हिन्दू सम्मेलन? उसने जबाव दिया, साहब पहली बार भरोसा बन रहा है। कि सुधबुध हमारी भी है। क्यों वह कहता है, आपने सुन नहीं, क्या कहा? क्या हमने खाए हैं शबरी के बेर? सवाल नहीं, यह मरहम है और लगता है कि कुछ लोग हैं , जो हमारी चिंता करने हैं। बहुत खुशी हुई यहा आकर दूर-दूर से लोग आए और भारत माता की आरती की। यह दृश्य दिखाई दिया श्योपुर के हिन्दु सम्मेलन का।

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