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मजहबी कानून अयोध्या की राह में रोड़ा

Update: 2018-02-13 00:00 GMT


अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में जिस प्रकार की राजनीति की जा रही, उससे यही प्रमाणित होता दिख रहा है कि बोर्ड अयोध्या विवाद का हल नहीं चाहता, केवल समस्या को और खतरनाक बनाने की कट्टरता को ही अंजाम दे रहा है। अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में सदस्यों की बात की जाए तो इसमें अभी तक विवादास्पद मुस्लिम धर्म गुरु जाकिर नायक जैसे आतंकवादी समर्थित व्यक्ति भी शामिल हैं। संभवत: इसीलिए उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने साफ शब्दों में कहा है कि कट्टरपंथी मानसिकता के लोग जो अपने को तथाकथित मुसलमान कहते हैं, वह हिंदुस्तान के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि हिंदुस्तान के मुसलमानों से संबंधित अहम फैसले पाकिस्तान और सऊदी अरब के आतंकवादी संगठन तय करते हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इन आतंकवादी संगठनों की एक शाखा है, जो इनकी विचारधाराओं पर चलते हुए देश का वातावरण खराब कर रहा है। इसी प्रकार अयोध्या मामले का सद्भाव पूर्ण हल बताने वाले मौलाना सैयद सलमान हुसैनी नदवी को बोर्ड ने बाहर का रास्ता दिखाकर यही प्रदर्शित किया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मामले का हल निकालना नहीं चाहता। हम यह अच्छी तरह से जानते हैं कि वर्तमान में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में कट्टरपंथी मुसलमानों की एक जमात है, जो देश के मुसलमानों को भ्रम की स्थिति में रखते हुए उन्हें केवल मजहबी दायरे में रखने की वकालत करती है। वास्तव में उन्हें मुसलमानों के विकास से कोई सरोकार नहीं है। मात्र इसी कारण देश की जनता के मन में मुसलमानों के प्रति अविश्वास का भाव पैदा हो रहा है। अगर कट्टरपंथियों की यही नीति जारी रही तो स्वाभाविक तौर पर इस भाव में और वृद्धि ही होगी। हम यह भी जानते हैं कि देश का मुसलमान संविधान द्वारा प्रदत्त सारी सरकारी सुविधाओं को प्राप्त करना तो चाहता है, लेकिन संविधान के दायरे में रहना नहीं चाहता। अगर उन्हें संविधान की भावना के हिसाब से नहीं चलना है तो फिर क्यों उन्हें सरकारी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।

वास्तव में उन्हें अपने मजहबी कानून से ही सब कुछ प्राप्त करना चाहिए। यह सही है कि जिस देश में हम रहते हैं, वहां के प्रति सभी के कुछ कर्तव्य भी होते हैं, यह संविधान सम्मत मत भी है, उन कर्तव्यों का पालन भी सभी को करना भी चाहिए, लेकिन कट्टरपंथियों की जमात संविधान सम्मत कानूनों का पालन नहीं करती। अगर इन कानूनों का सही ढंग से पालन किया जाए तो देश की बहुत सी समस्याएं स्वत: ही समाप्त हो जाएंगी। उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने समस्या को दूर करने का सूत्र सुझाया है, जिसका मुसलमानों का बहुत बड़ा वर्ग समर्थन भी कर रहा है, लेकिन सवाल यही है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसके विरोध में क्यों आता जा रहा है। वास्तव में जो संस्था समस्या का समाधान प्रस्तुत नहीं कर सकती, उसे बने रहने का क्या औचित्य है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को देश के मुसलमानों की भलाई का रास्ता भी खोजना चाहिए, इसी के साथ देश भाव का प्रकटीकरण भी करना चाहिए, क्योंकि कट्टरपंथी रवैया समाधान का रास्ता नहीं हो सकता। मजहबी कानून अयोध्या के विवाद का हल निकालने में रोड़ा बनता जा रहा है।

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