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गणपति बाप्पा मोरया का क्या है रहस्य

Update: 2017-09-04 00:00 GMT

के समय, उनकी पूजा के समय, हर किसी की जुबान पर बस एक ही नारा क्यों रहता है गणेश भगवान का जब भी जयकारा लगाया जाता है तो उनके जय कारे में गणपति बाप्पा मोरया क्यों बोला जाता है आइये जानते है इसके पीछे की कहानी-
 
बहुत पुरानी बात है चिंचवाड़ नाम का एक गांव हुआ करता था. एक दिन इस गांव में एक संत पैदा हुए, जिनका नाम मोरया गोसावी था. ऐसा माना जाता है भगवान गणेश के आशीर्वाद से ही मोरया का जन्म हुआ था. वह जन्म से ही भगवान गणेश जी भक्ति में लीन रहने लगे थे. जब भी गणेश चतुर्थी का त्यौहार आता था तब तब मोरया गोसावी चिंचवाड़ से कई किलोमीटर पैदल चलकर मयूरेश्वर मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन करने के लिए जाते थे। यह सिलसिला 117 साल तक चलता रहा.
 
मोरया गोसावी की अधिक उम्र हो जाने की वजह से उन्हें मयूरेश्वर मंदिर तक जाने में उन्हें काफी मुश्किलें पैदा होने लगी थीं। तब एक दिन गणपतिजी उनके सपने में आए और मोरया गोसावी से कहा कि तुम नदी पर जाना और उस नदी में स्नान करना तुम्हे उसमे एक मूर्ति मिलेगी. इसके बाद जैसा उन्‍होंने सपने में देखा था वैसा ही हुआ नदी में स्‍नान करने के दौरान उन्‍हें गणेशजी की प्रतिमा प्राप्‍त हुई.

जैसे जैसे लोगों को इस घटना के बारे में पता चला वैसे वैसे लोग चिंचवाड़ गांव में मोरया गोसावी के दर्शन के लिए आने लगे। और उस संत के पैर छूकर उन्हें मोरया कहने लगे और संत मोरया भक्‍तों को मंगलमूर्ति के नाम से पुकारने लगें। इस प्रकार गणेश उत्सव के दौरान गणपति बप्पा मोरया के जयकारे लगने की परंपरा शुरू हो गई.

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