सूर्य देव सभी ग्रहों के राजा हैं। इन्हें सूर्य नारायण भी कहा जाता है
सूर्योपनिषद् में सूर्य को ब्रह्मा, विष्णु और रूद्र का स्वरूप माना गया है। माना जाता है कि उदयकालीन सूर्य ब्रह्मा रूप में होते हैं। दोपहर में सूर्य विष्णु रूप में और संध्या के समय संसार का अंत करने वाले रूद्र रूप में होते हैं।
जिन लोगों को सूर्य ग्रह के कुप्रभाव के कारण पारिवारिक जीवन एवं करियर में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है उनके लिए उगते सूर्य को जल देना उत्तम माना जाता है।धन की प्राप्ति की इच्छा रखने वालों को दोपहर के समय लाल फूलों के साथ सूर्य देव को जल देने का विधान है। मोक्ष की आकांक्षा रखने वालों के लिए संध्या कालीन सूर्य की उपासना उत्तम बताई गई। इन तीनों सिद्घियों को पाने के लिए ही प्राचीन काल में तीनों समय सूर्य की पूजा की जाती थी।