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भगवान विश्वकर्मा को करें ऐसे प्रसन्न

Update: 2017-09-17 00:00 GMT

स्वदेश वेब डेस्क। आज विश्वकर्मा जयन्ती है और आज के दिन लोग भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। बताया जाता है कि विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। इसलिए इस दिन उद्योगों, फेक्ट्रियों और कार्य क्षेत्र की पूजा की जाती है।आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है क्योंकि इसी दिन इनका जन्म हुआ था। रविवार के दिन ही विश्वकर्मा पूजा का संयोग शुभ फलदायी है। साथ ही उद्योग जगत के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर उनकी विधिविधान से पूजा करने से विशेष फल की भी प्राप्ति होती है।

पूजा करने के लिए है ये शुभ मुहूर्त - पंचांग के अनुसार आज दोपहर 12:54 बजे तक ही विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त है। इसी समय के अनुसार पूजन शुभकारी होगा।

विश्वकर्मा मन्त्र - ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:

पूजन की विधि - विश्वकर्मा पूजा के लिए भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को विराजित कर इनकी पूजा की जाती है, हालांकि कई अपने कल-पुर्जे को ही भगवान विश्वकर्मा मानकर पूजा करते हैं। इस दिन कई जगहों पर यज्ञ का भी आयोजन किया जाता है। और यज्ञ में अपनी पत्नी सहित पूजा स्थान में बैठे। इसके बाद विष्णु भगवान का ध्यान करे। तत्पश्चात् हाथ में पुष्प, अक्षत लेकर मंत्र पढ़े और चारों ओर अक्षत छिड़के। अपने हाथ में रक्षासूत्र बांधे एवं पत्नी को भी बांधे। पुष्प जलपात्र में छोड़े। इसके बाद हृदय में भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें। दीप जलायें, जल के साथ पुष्प एवं सुपारी लेकर संकल्प करें। शुद्ध भूमि पर अष्टदल कमल बनाए। उस पर जल डालें। इसके बाद पंचपल्लव, सप्त मृन्तिका, सुपारी, दक्षिणा कलश में डालकर कपड़े से कलश की तरफ अक्षत चढ़ाएं। चावल से भरा पात्र समर्पित कर विश्वकर्मा बाबा की मूर्ति स्थापित करें और वरुण देव का आह्वान करें। पुष्प चढ़ाकर कहना चाहिए- ‘हे विश्वकर्माजी, इस मूर्ति में विराजिए और मेरी पूजा स्वीकार कीजिए’। इस प्रकार पूजन के बाद विविध प्रकार के औजारों और यंत्रों आदि की पूजा कर हवन यज्ञ करें।

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