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गुरु की गंभीरता से सागर भी सिहर उठते हैं: विनिश्चय सागर

Update: 2017-09-13 00:00 GMT

ग्वालियर। गुरु में गंभीरता इतनी होती है कि सागर भी सिहर उठे। वात्सल्य की छलकती गागर ऐसी होती है कि क्या मजाल कि कोई उनके आत्मीयता का अनुभव किए बिना उठ जाए। यह विचार आचार्य विनिश्चय सागर महाराज ने मंगलवार को चातुर्मास आयोजन समिति मुरार द्वारा चिक संतर स्थित जैन धर्मशाला में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आचार्यश्री ने कहा कि चिंतन में हिमगिरि सी ऊंचाई और भावों में सागर के समान गहराई है। आचार्यश्री का जीवन प्रेम, प्रज्ञा, सरलता और साधना से ओतप्रोत है। वे न केवल मिठास भरा जीवन जीने की सलाह देते हैं बल्कि आपके जीवन में मिठास और माधुर्य घोले रखते हैं। वे आम इंसान के बहुत करीब हैं। उनके द्वार सबके लिए खुले हैं।

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