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ताजमहल हिन्दू सम्पत्ति है, सर्वे कराकर सत्य सामने लाया जाए

Update: 2017-09-12 00:00 GMT

अधिवक्ताओं ने दी ताजमहल के वर्तमान स्वरूप को चुनौती

आगरा। ताजमहल के मूल ढांचे में छुपे रहस्यों को सामने लाने की मांग के साथ आगरा व लखनऊ के अधिवक्ताओं ने साक्ष्यों व तथ्यों के साथ ताजमहल के संपूर्ण आंतरिक ढांचे के सर्वे की मांग की है।

सोमवार को स्वाध्याय मंडल आगरा द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में यह मांग उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन, इतिहासकार जयश्री वैद्य, इतिहासकार अशोक आठवले व अधिवक्ता परिषद के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ ने की।  प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए इतिहासकार पीएन ओक की पुत्री जयश्री वैद्य ने कहा तमाम तथ्यों के बाद भी बार-बार ताजमहल को शाहजहां का बनाया हुआ भवन बताया जाता हैं जबकि बादशाहनामा में इसे मंजिल संबोधित करते हुए राजा जयसिंह की सम्पत्ति बताई गई है। उन्होंने कहा कि ताजमहल के सभी बंद रहस्यों को खोला जाना चाहिए। ताजमहल पर शोध करने वाले सिंगापुर निवासी अशोक आठवले ने कहा कि मुमताज महल को बुरहानपुर में दफनाया गया। ताजमहल में मौजूद चिन्ह इस बात के प्रमाण हैं कि वह हिन्दू मंदिर है। श्री आठवले ने कहा कि हमारा गौरवशाली इतिहास का पता लगाया जाना चाहिए। ताजमहल के वर्तमान स्वरूप को चुनौती देते हुए लखनऊ उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीशंकर जैन ने कहा कि उन्होंने 1960 में ताजमहल के भीतर के तहखानों में जाकर हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां देखी हैं। मंदिर के चिन्ह भी ताजमहल के भीतर हैं। ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनवाया। उन्होंने कहा कि वामपंथियों ने इतिहास को विकृत किया। उन्होंने कहा कि ताजमहल में मौजूद 22 कमरों को खोलकर उनकी जांच करनी चाहिए। उन्होंने जानकारी दी कि ताजमहल को शिवमंदिर बताने वाला शिलालेख भी प्रमाण स्वरूप मौजूद है। साथ ही बताया कि उक्त कमरों को इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान बंद कर दिया गया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी। प्रेसवार्ता में एड. गौरव जैन, उत्तम चंदेल, विवेक उपाध्याय, हमेंद्र शर्मा, धर्मेद्र वर्मा, एड. अनंत चैहान, सुभाष गिरी आदि उपस्थित रहे।

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