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सिंधिया ने बदलवाए चार बीआरओ

Update: 2017-09-11 00:00 GMT

ग्वालियर। शहर के आठ बीआरओ की घोषणाा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने मनपसंद नेताओं को चयन कराकर की है। जिसमें ब्लॉक एक में अशोक नगर के जजपाल जज्जी, ब्लॉक दो में शिवपुरी के रविन्द्र शिवहरे, ब्लॉक तीन में शिवपुरी करैरा विधायक शंकुतला खटीक,  ब्लॉक चार में हरीबल्लभ शुक्ला, पांच में दतिया के रवेन्द्र सिंह परमार (गिन्नी राजा) छह में अशोक नगर के भूपेन्द्र द्विवेदी, 7 में गुना के मोहन रजक और ब्लॉक आठ में मुरैना के मनोज पाल यादव शामिल हैं। घाटीगांव ब्लॉक के बीआरओ मुरैना के राजेन्द्र मरैया बनाए गए हैं। इस मामले में पहले चार ब्लॉक अध्यक्ष ग्वालियर के एक वरिष्ठ नेता ने अपनी पसंद से कराए थे, किन्तु श्री सिंधिया ने उन पर अपनी मोहर नहीं लगाई और वह चारों नाम बदल दिए गए। इनमें पहले ब्लॉक दो से राजेन्द्र सिंह यादव जबलपुर, ब्लॉक चार से मनीष राय नरसिंहपुर,  पांच से कटनी के अनिल तिवारी एवं आठ से बैतूल के अशोक राठौर का नाम फायनल हुआ था, किन्तु विवादों के चलते यह चार नाम सूची से बाहर कर दिए गए।

कांग्रेस नेताओं का दिल्ली में डेरा

अपने पसंदीदा बीआरओ और फिर ब्लॉक अध्यक्ष बनवाने के लिए कुछ कांग्रेस नेता दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। इसमें से पूर्व विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर, ब्लॉक क्रमांक-1 में ब्रजराज तोमर दो में केके कुशवाह और तीन में भंवर सिंह यादव को ब्लॉक अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। श्री तोमर की काट के लिए  उनके प्रतिद्वंदी सुनील शर्मा अपनी बीमार भूलकर दिल्ली में हैं, वे स्वयं विधायक टिकट के साथ जिला अध्यक्ष की दावेदारी कर रहे हैं। इसी तरह पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल का वर्चस्व तोड़ने मुन्नालाल गोयल  भी दो दिन से दिल्ली में थे, वे जिला कांग्रेस द्वारा मीतेन्द्र दर्शन सिंह को बढ़ावा देने से परेशान हैं। इधर ग्वालियर की कांग्रेस गतिविधियों की जानकारी देने सोमवार को रमेश अग्रवाल दिल्ली पहुंच रहे हैं। इसके अलावा कुछ अन्य नेताओं की पदचाह में दिल्ली पहुंचने की खबर है।

सिंधिया की बात नजरअंदाज कर कराई कांग्रेसियों की वापसी

नगर निगम चुनाव के समय दो कांग्रेस नेताओं ने कांग्रेस के घोषित उम्मीदवारों का साथ नहीं दिया था जबकि एक कांग्रेस नेता ने दबाव की राजीनीति के चलते अपना इस्तीफा दे दिया था, जब इन तीनों को कांग्रेस में वापसी की बात आई तो सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जिला कांग्रेस पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि इन तीनों नेताओं से माफीनामा लिखवाकर इनकी वापसी कराई जाए। किन्तु जब माफीनामें की बात आई तो इन नेताओं ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया लेकिन इसके बावजूद इनमें से दो  नेता बड़ी शान के साथ कांग्रेस में वापस आ गए हैं। इतना ही नहीं इनमें एक नेता को तो अनाधिकृत तरीके से प्रवक्ता की पदवी से नवाज दिया गया है, जबकि जिला कांग्रेस में पूर्व से हो आज आठ प्रवक्ता हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

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