SwadeshSwadesh

नगर निगम में ‘हरदा’ के खौफ का साया

Update: 2017-09-01 00:00 GMT

निगमायुक्त विनोद शर्मा भी दबाव में

ग्वालियर/विशेष प्रतिनिधि। अक्टूबर 2015 से 21 जून 2017 तक नगर निगम में आयुक्त की कुर्सी पर आसीन रहे वर्तमान हरदा कलेक्टर अनय द्विवेदी के नाम से आज भी निगम में खौफ है, जिसे देखो वह यही कहता नजर आता है कि यहां होने वाली किसी भी उस गतिविधि पर श्री द्विवेदी की नजर है, जो उनके कार्यकाल में विवादोें में रहीं थी। ऐसे में वर्तमान निगमायुक्त विनोद शर्मा भी भारी दबाव में हैं और फूंक फूंंककर कदम रख रहे हंै क्योंकि उनके आगमन के बाद कुछ अधिकारियों की मूल पदों पर वापसी हुई है, जिसे टेड़ी नजरों से देखा गया।

उल्लेखनीय है कि लगभग अठारह-उन्नीस महीने तक ग्वालियर नगर निगम में आयुक्त रहते श्री द्विवेदी अपनी कार्यशैली के कारण चर्चित रहे। उन्होंने निगम का ढर्रा बदलने के लिए जहां जेड ओ प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए इंजीनियरों को यह दायित्व सौंपा वहीं वसूली बढ़ाने के लिए कड़ा रुख अपनाया तो उन्हें कर्मचारियों की हड़ताल तक का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं राजनैतिक दलों के नेता पार्षद और कुछ कर्मचारियों से विवाद होने पर उनके द्वारा पुलिस कार्यवाही तक की गई। जिसमें कांगे्रस के पूर्व विधायक प्रद्युम्न तोमर ने जब उपनगर ग्वालियर में गंदे पानी की समस्या उठाई तो उनकी सीधी भिड़ंत द्विवेदी से हो गई और तब उन्हें जेल तक जाना पड़ा इसी मुद्दे पर उनके पुरानी-छावनी स्थित होटल रितुराज को तोड़ने की नौबत आने पर काफी तनातनी हुई। एक पार्षद भूपेन्द्र मोगिया को जन सुनवाई में हुए विवाद पर उसे भी थाने पहुंचाया गया तो पार्षदों ने इसका विरोध कर धरना दिया, तब कमिश्नर को झुकना पड़ा था। इसके साथ ही 40 लाख रुपए के एडवांस मामले में तत्कालीन खेल अधिकारी सत्यपाल चौहान, ओमप्रकाश बाथम और रामकिशोर गुप्ता को निलंबित कर जांच के बाद चौहान बाथम की बर्खास्तगी का प्रस्ताव एफ.आई.सी भेजा और गुप्ता को जबरिया सेवानिवृत्त कर दिया। विद्युत प्रभारी देवी राठौर को हटाकर दीनदयाल रसोई भेजा, भवन अधिकारी अजयपाल जादौन को गौशाला पहुंचाया। टी.सी. महेन्द्र शर्मा योगेन्द्र श्रीवास्तव, लोकेन्द्र चौहान, जेडओ राकेश कुशवाह का निलंबन और पी.आर.ओ. मधु सोलापुरकर को उनके मूलविभाग में एक तरफा रिलीव किया। सफाईकर्मी अशोक खरे को जेल भिजवाया। सहायक यंत्री पवन सिंहल को सारे कार्यों से मुक्तकर पेयजल समस्या निराकरण को लिए रिसेप्सन पर ड्यूटी लगाने के मामले ने भी काफी तूल कपड़ा।

इसके अलावा ई.ओ. डब्ल्यू विभाग से जांच के लिए आए पर उनके मुख्यालय पर कचरा फिकना भी चर्चाओं में रहा। इन हालातों के चलते आईएएम अफसरों की तबादला सूची में श्री द्विवेदी को हरदा का कलेक्टर बनाया गया और वे 21 जून को रिलीव हुए तो निगम की अलग ही वातावरण निर्मित हो गया। उनके स्थान पर पूर्व में आयुक्त रह चुके तत्कालीन मुरैना कलेक्टर विनोद शर्मा को यहां आयुक्त बनाकर भेजा गया तो उन अधिकारियों कर्मचारियों की बांछें खिल गई जो पहले उनके नजदीकी रह चुके थे। श्री शर्मा ने 26 जून को ईद की छुट्टी के दिन यहां कामकाज संभाला और अपने स्वभाग के मुताबिक काम करना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने मूल विभाग भेजे गए मधु सोलापुरकर को वापस पी.आर.ओ बनाया फिर एक के बाद एक देवी सिंह राठौर विद्युत, श्रीकांत कांटे कार्यशाला प्रदीप श्रीवास्तव कम्प्यूटर शाखा, महेन्द्र शर्मा को मदाखलत, रमेश झा की जनसंपर्क में वापसी हुई। इतना ही नहीं द्विवेदी के कोप का भाजन बने रहे पवन सिंघल को अवकाश से लौटने पर पी.आई.यू. सेल का प्रभारी बना दिया। चूंकि अधिकांश के खिलाफ जांच चल रही है और कुछ दोषी ठहराए गए हैं उनकी वापसी से हरदा कलेक्टर को झटका लगा है, क्योंकि उनके नजदीकी रहे प्रदीप वर्मा, केशव चौहान के कद को घटाया गया है, जबकि वें चाहते थे कि उनकी कार्रवाई वाले अधिकारी वापस न लौटें। निगम गलिायारों में खबर है कि वर्तमान आयुक्त को यह ताकीद की गई है कि वे दागी अधिकारियों को इसी तरह तवज्जों देते रहे तो उनके लिए रिटायरमेंट में दिक्कत आ जाएगी। इस बात से श्री शर्मा बेहद दबाव में हैं और अब वे फूंक फूंककर कदम रख रहे हैं। यही कारण है कि एम.आई.सी में सत्यपाल चौहान की पुन: जांच संबंधी संकल्प अब तक जांच कमेटी तक नहीं पहुंचा है वहीं जेडओ की अदला-बदली भी लटकी हुई है।

वसूली का ग्राफ हुआ कम

भले ही संपत्तिकर वसूली में लगे अधिकारी-कर्मचारियों ने पूर्व आयुक्त के हठीले स्वभाव के कारण हड़ताल कर दी थी लेकिन फिर भी जाते वर्ष में वसूली का आंकड़ा रिकार्ड 52 करोड़ रहा था, जो चालू वर्ष में 75 करोड़ लक्ष्य के विपरीत अभी 20-22 करोड़ ही हुआ है। इसके अलावा स्मार्ट सिटी सहित अन्य कार्य भी अधिकारियों के दो पाटों में फंसने के कारण प्रभावित हो रहे हैं।

Similar News