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सरकार व्यवस्था बनाती है लेकिन विकास को बल समाज से मिलता है

Update: 2017-08-18 00:00 GMT

 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को सरकार चलाने में समाज की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि सरकारों के द्वारा व्यवस्थाएं बनती होंगी लेकिन विकास को बल हमेशा समाज की भिन्न-भिन्न रचनाओं द्वारा व उनकी शक्ति और सामर्थ्य द्वारा प्राप्त होता रहा है। 

प्रवासी भारतीय केंद्र में आयोजित नीति आयोग के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘बदले हुए वक्त में हमें व्यवस्था भी बदलनी होगी। समाज में रचनात्मक कार्य करने वाली शक्तियां बिखरी पड़ी हैं| एक बार उन्हें एक धागे में पिरो दिया जाए तो ऐसी फूलमाला बन सकती है जो मां भारती और अधिक सुशोभित कर सकती है।’’ उन्होंने कहा कि 50 साल पहले सरकार की मौजूदगी बहुत कम स्थान पर थी। समाज की व्यवस्था ही बल रुप में कार्य करती थी। प्रधानमंत्री यहां नीति आयोग की पहल के तहत युवा उद्यमियों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान सरकार को समाज से जोड़ने की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के हर कोने में हर व्यक्ति के पास कुछ न कुछ देने को है। वह सरकार को फाइल से निकालकर जनजीवन से जोड़ना चाहते हैं यह ‘टू वे’ तरीका है। 

नीति आयोग की पहल के तहत करीब 200 युवा उद्यमियों ने 6 समूहों में साफ्ट पावर - अतुल्य भारत 2.0, शिक्षा और दक्षता विकास, स्वास्थ्य और पोषाहार, सतत कल को ऊर्जावान बनाना, 2022 तक न्यू इंडिया जैसे विषयों पर प्रधानमंत्री के समक्ष प्रजेन्टेशन दी। नीति आयोग की पहल को आगे ले जाने और नई विचार लाने वालों को संबंधित मंत्रालय से जोड़ने की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह समाज की भागीदारी को सरकार का विस्तार बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार में 50 से 55 के लोग आते हैं| आप 25 से 30 के बीच हैं| मैं इन दोनों को मिलाना चाहता हूं।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रयोग को संस्थागत कैसे किया जाए इसको सालाना इवेंट कैसे बनाये और उसे सरकार के एक्सटेंशन के तौर पर कैसे किया जाये। क्या यह लोग (नई पहल करने वाले) उस संबंधित मंत्रालय से स्थाई तौर पर जुड़ सकते हैं।’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार ने देश में संस्थागत रूप ले लिया है। उनकी सरकार भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए पुरजोर कदम उठा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार इस तरह की संस्थागत व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रही है कि यदि लोग गड़बड़ करते हैं, तो सिस्टम स्थिति का ध्यान रखेगा।’’

पद्मश्री पुरस्कारों पर टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने आते ही नेताओं की सिफारिश की नीति बदल कर आम जन से सिफारिशें आमंत्रित की हैं। उन्होंने पद्म पुरस्कार पाने वाले बंगाल के मुस्लिम लड़के का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा, ‘‘पहले पद्म पुरस्कार सिफारिशों के आधार पर दिए जाते थे। नेताओं और डॉक्टर ही पद्म के लायक होते थे। हमने एक छोटा सा रिफार्म किया। हमने इसे ऑनलाइन किया, जहां कोई भी किसी के लिए सिफारिश कर सकता है।’’ 

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और नवाचार को सुशासन का माध्यम बनाने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में संपोषण के लिए विकेन्द्रिकृत ढांचा महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में उन्होंने बदलाव लाने की प्रक्रिया में स्टार्ट-अप की भूमिका का उल्लेख किया। इस अवसर पर कई केन्द्रीय मंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया और केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी गण उपस्थित थे। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत द्वारा इस कार्यक्रम का समन्वय किया गया।

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