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अपने रचनात्मक तरीके से अपनी जिम्मेदारियां निभा सकेंगे जोशी

Update: 2017-08-13 00:00 GMT


नई दिल्ली। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष प्रसून जोशी को उम्मीद है कि वह अपने रचनात्मक तरीके से अपनी जिम्मेदारियां निभा सकेंगे और सकारात्मक फर्क पैदा कर सकेंगे। सरकार ने चौंकाने वाली घोषणा करते हुए पहलाज निहलानी को सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटा दिया और प्रसून को इस पद पर नियुक्त किया। अपने विवादित फैसलों की वजह से निहलानी अक्सर सुर्खियों में रहते थे।

बता दें कि अपनी नियुक्ति के बाद 45 साल के प्रसून ने बताया, अच्छी मंशा सबसे अच्छी शुरूआत है। जिम्मेदारियां लेना और बेहतरीन काम करना मेरी कोशिश रही है । मेरा मानना रहा है कि रचनात्मक योगदान से अधिकार और जिम्मेदारियों का निर्वाह अच्छी तरह किया जा सकता है। उन्होंने कहा, किसी को भी यही उम्मीद होती है कि सम्माननीय हस्तियों के मार्गदर्शन और समर्थन से सकारात्मक फर्क पैदा हो।

खबरों के अनुसार, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि कई पुरस्कारों से सम्मानित गीतकार प्रसून तीन साल की अवधि या अगले आदेश तक सीबीएफसी के अध्यक्ष के तौर पर अपनी सेवाएं देंगे। सरकार ने मौजूदा बोर्ड का पुनर्गठन भी किया है। बोर्ड के नए सदस्यों में विद्या बालन, विवेक अग्निहोत्री, गौतमी तड़ीमल्ला, नरेंद्र कोहली, नरेश चंद्र लाल, नील हर्बर्ट नोंगकिनरीह, वामन केंद्रे, टी एस नागभराना, रमेश पतंगे, वाणी त्रिपाठी टीकू, जीविता राजशेखर और मिहिर भूटा को शामिल किया गया है।

बाद में मुंबई में पत्रकारों से बातचीत में प्रसून ने कहा कि उन्हें खुशी है कि बोर्ड में अच्छे लोगों को जगह मिली है। उन्होंने कहा, शामिल किए गए सभी लोग फर्क पैदा करेंगे। यह साथ मिलकर करना होगा। मेरा मानना है कि एक समझ विकसित करनी होगी। प्रसून ने कहा, यह ऐसा काम है, जिसे किया जाना है और हमें इस पर रचनात्मक तरीके से देखना होगा। मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ योग्यता के साथ यह करूंगा। मैं दिल्ली से अभी-अभी आया हूं, पर मैं स्वीकार करता हूं कि मुझे उम्मीद नहीं थी कि चीजें इतनी तेजी से होंगी।

गौरतलब है कि वह बोर्ड से फिल्म उद्योग की अपेक्षाओं को समझते हैं और सभी को साथ लेने की कोशिश करेंगे। प्रसून ने कहा, मुझे खुशी है कि फिल्म उद्योग को मुझसे अपेक्षाएं हैं। फिल्म उद्योग के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है। मैं लोगों की राय लेने की कोशिश करूंगा, उनके विचार अच्छे हैं। यह मेरे लिए नई चीज है। मैं नहीं जानता कि यह (सीबीएफसी) कैसे काम करता है। मैं ऐसे लोगों में नहीं हूं जो बैठकर बातें बनाउंगा। मैं काम करूंगा। फिल्म उद्योग के लोगों की अक्सर यह शिकायत रही है कि सीबीएफसी का काम फिल्मों को प्रमाणित करना है, इसे सेंसर करना यानी कांट-छांट करना नहीं।

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