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फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर डिग्री, नौकरी छीनने के आदेश

Update: 2017-07-06 00:00 GMT


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने पर कड़ी सजा देने और सभी सुविधाएं छीन लेने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर एडमिशन लेता है और वो नौकरी भी हासिल कर लेता है बाद में उसका जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया जाता है तो उसकी नौकरी और डिग्री दोनों ही खत्म हो जाएगी। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषी को इस आधार पर कोई माफी नहीं मिल सकती है कि वह बीस वर्षों से उस डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहा है। चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने बांबे हाईकोर्ट के फैसले को गलत ठहराया जिसमें कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति बहुत लंबे समय से नौकरी कर रहा है और बाद में उसका प्रमाणपत्र फर्जी पाया जाता है तो उसे सेवा में बने रहने की अनुमति दी जा सकती है। भले ही उस व्यक्ति ने बीस साल तक की नौकरी पूरी कर ली हो ।

बांबे हाईकोर्ट अपने आदेश में कहा था कि अगर जांच में पाया जाता है कि किसी ने गलत तरीके से जाति प्रमाणपत्र बनवाया है जबकि वह जाति आरक्षण के दायरे में नहीं आता, तो भी उस व्यक्ति की नौकरी छीनी नहीं जा सकती क्योंकि वह सालों से नौकरी कर रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि हाईकोर्ट का यह फैसला सही नहीं है। इससे वाजिब लोगों को सरकारी नौकरी से वंचित रहना पड़ेगा। सरकार के मुताबिक सरकारी नौकरी पाने के लिए ऐसे फर्जीवाड़े को अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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