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नयति हॉस्पिटल का सच : अरे भाई रामबाबू तुम अपना ऑपरेशन क्यों नहीं करा लेते हो.....

Update: 2017-07-04 00:00 GMT
 दवाओं से ठीक हो रहे मरीज को भी नयति अस्पताल के डाक्टर देते है ऑपरेशन की सलाह
 
- महिला चिकित्सक के बाद एक और मरीज ने लगाया आरोप 
- पीड़ित ने योगी सरकार से लगायी कार्रवाई की गुहार 
 
 
मथुरा। नयति अस्पताल में चिकित्सकों की रुचि मरीजों को ठीक करने में कम उनका ऑपरेशन कर कमाई करने में ज्यादा रहती है। महिला चिकित्सक के आरोपों के बाद अब एक और मामला सामने आया है। पीड़ित ने सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ सहित सभी आला अफसरों से गुहार लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। 
 
नयति अस्पताल प्रशासन से पीड़ित सेठबाड़ा निवासी रामबाबू ने अपनी पीड़ा स्वदेश समाचार पत्र को बताई। इनके शब्द आपको भी झकझोर देंगे। पेशे से शिक्षक रामबाबू 22 जून को नयति अस्पताल(Nayati Hospital) में उपचार के लिये गये। उन्हें यूरिन में कुछ समस्या थी। चिकित्सक ने कुछ टेस्टिंग लिखीं और चैकअप कराया। इसी के साथ ऑपरेशन की सलाह देते हुए ऑपरेशन न कराने पर शरीर में होने वाली समस्याएं बतानी शुरु कर दी।
 
 रामबाबू शर्मा
 
टेस्टिंग कराने के बाद दवाओं के उपचार से ही रामबाबू को आराम मिला लेकिन अस्पताल के डाक्टर लगातार ऑपरेशन के लिये ही दबाव डालते रहे। अब रामबाबू इस बात से परेशान थे कि जब उन्हें दवा से ही काफी आराम मिल रहा है तो चिकित्सक लगातार ऑपरेशन के लिये दबाव क्यों डाले जा रहे है। जबकि उनकी बीमारी काफी तेजी से ठीक हो रही है। 
 
नयति अस्पताल के चिकित्सकों के रवैये से दुखी रामबाबू शर्मा ने कहा कि मरीज तो अपनी बीमारी से पहले से ही परेशान रहता है वो चिकित्सक को भगवान का दर्जा देता है। लेकिन धरती के ये भगवान मरीज को भ्रमित करते है इससे उनकी साख को बट्टा लग रहा है यह कटु सत्य है। उन्होंने सूबे की योगी सरकार सहित सभी आला अफसरों से गुहार लगाई है कि वो बेहतर उपचार के नाम पर आम लोगों को भावुक कर लूट मचा रहे नयति अस्पताल प्रशासन पर लगाम कसे। 
 
यहां आपको ये भी बता दें कि नयति अस्पताल में ये पहला मामला नहीं है जब यहां आने वाले मरीज से ऑपरेशन के लिये अनावश्यक दबाव डाला गया हो। इससे पहले भी एक महिला चिकित्सक ने अपनी माँ की जांच रिपोर्ट आने से पहले ही नयति के चिकित्सकों पर माँ के ऑपरेशन के लिये दबाव डाला था। नयति अस्पताल के डाक्टर को लेकर लिखा गया एक महिला चिकित्सक का पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था। 
 
जब इस मामले में हॉस्पिटल का पक्ष जानने के लिये फोन पर जनसंपर्क अधिकारी शिवानी शर्मा से बात करने का प्रयास किया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका। इस कारण हॉस्पिटल का पक्ष ज्ञात नहीं हो सका। 

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