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विद्या मरते दम तक और अगले जन्म तक साथ रहती है: आचार्यश्री

Update: 2017-07-24 00:00 GMT


ग्वालियर।
सरस्वती का अर्थ विद्या और ज्ञान है। विद्या स्वयं पैदा की जाती है, अध्ययन एक दूसरे से किया जाता है। पानी के ऊपर तैरना और डूबना हर किसी के वश में नहीं है। विद्या का कभी विनाश नहीं होता है। विद्या मरते दम तक और अगले जन्म तक साथ रहती है, पर अध्ययन साथ नही जाता है। यह विचार आचार्य  विनम्र सागर महाराज ने भक्तामर शिविर के आठवें दिन रविवार को नई सड़क स्थित तेरहपंथी धर्मशाला में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

आचार्यश्री ने ज्ञान और बुद्धि मे अंतर बताते हुए कहा कि बु़िद्ध नहीं होगी तो ज्ञान बेकार है। हमारे पास दो हजार रुपए हैं तो सौ- पांच सौ भी निकल आयेंगे। अगर सौ रुपए हैं तो दो हजार नहीं निकलेंगे। अत: शिष्य ही गुरू का परिचय देता है गुरू शिष्य का नही।  आचार्य श्री विनम्र सागर महाराज के पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट, आरती व भगवान आदिनाथ के भक्तामर स्त्रोत के चित्र का अनावरण चिंरोजीलाल जैन परिवार ने रिमोट दबाकर किया। इस अवसर पर चातुर्मास वर्षायोग समिति के अध्यक्ष चक्रेश जैन, मंत्री योगेश जैन, स्वागाध्यक्ष पदमचंद्र जैन आदि उपस्थित थे।

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