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कम्प्यूटराइज हो रही शहर की बिजली

Update: 2017-07-17 00:00 GMT

अब कम्प्यूटर की स्क्रीन पर दिखेगा फॉल्ट


ग्वालियर। विद्युत लाइनों पर बार-बार होने वाले फॉल्ट की समस्या से निपटने के लिए शहर की बिजली कम्प्यूटराइज की जा रही है। बिजली कम्पनी उपकेन्द्रों से लेकर 33 और 11 के.व्ही. विद्युत लाइनों को सुपरवाईजरी कंट्रोल एण्ड डाटा एक्यूजेशन (स्काडा) सिस्टम से जोड़ने का काम कर रही है। यह काम आगामी दिसम्बर तक पूरा होने की उम्मीद है। यह काम पूरा होने के बाद किसी भी विद्युत लाइन पर होने वाला फॉल्ट कम्प्यूटर की स्क्रीन पर दिख जाएगा, जिससे न केवल फॉल्ट को कम से कम समय में दुरुस्त किया जा सकेगा बल्कि फॉल्ट को ठीक करने के दौरान कम से कम ऐरिया में ही बिजली आपूर्ति बाधित रहेगी।

यहां बता दें कि ग्वालियर शहर में स्काडा का काम वर्ष 2012 में शुरू किया गया था और यह काम पूरा करने की जिम्मेदारी दो निजी कम्पनियों ‘ईशून व डोंगफैंग’ को सौंपा गया था। इनमें से डोंगफैंग को इलेक्ट्रिकल वर्क और ईशून को उपकेन्द्रों पर काम करना था। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग 35 करोड़ है। बताया गया है कि डोंगफैंग कम्पनी ने तो इलेक्ट्रिकल वर्क पूरा करते हुए रोशनीघर परिसर में स्काडा का कंट्रोल रूम बनाकर तैयार कर दिया था, लेकिन ईशून कम्पनी ने उपकेन्द्रों पर किए जाने वाले काम में न केवल सुस्ती दिखाई अपितु वह अपना काम बीच में ही छोड़कर चली गई थी। इसके चलते बिजली कम्पनी ने ईशून कम्पनी को टर्मिनेट कर दिया था। अब उसकी जगह उपकेन्द्रों पर होने वाला काम मुम्बई की ओफश्योर कम्पनी को सौंपा गया है और समय-सीमा दिसम्बर 2017 तय की गई है। यह कम्पनी अपना काम तेजी से कर रही है।

यह उपकरण लगाए जा रहे हैं

शहर में 33/11 के.व्ही. के कुल 51 उपकेन्द्र हैं। चंूकि वर्ष 2012 में जब यह योजना बनी थी, तब शहर में कुल 46 उपकेन्द्र ही थे, जबकि पांच उपकेन्द्र बाद में बनाए गए थे, इसलिए पांच नए उपकेन्द्रों को छोड़कर पुराने सभी 46 उपकेन्द्र को कम्प्यूटराइज करने के लिए उनमें डिवाइस लगाने के साथ ही पुराने उपकरणों को हटाकर स्काडा के अनुरूप नए वैक्यूम सर्किट ब्रेकर, आईसुलेटर, रिले आदि उपकरणों के अलावा पोटेंशियल ट्रांसफार्मर लगाए जा रहे हैं। अब तक करीब 25 उपकेन्द्रों पर यह काम पूरा हो चुका है। सभी 46 उपकेन्द्रों पर यह काम पूरा होने के बाद पांच नए उपकेन्द्रों सहित शहर के 33 के.व्ही. के 30 और 11 के.व्ही. के 200 विद्युत फीडरों को भी इसी प्रकार कम्प्यूटराइज करने का काम शुरू किया जाएगा।

यह होगा फायदा

अभी किसी 33 या 11 के.व्ही. विद्युत लाइन में कोई फॉल्ट होता है तो कर्मचारियों को पूरे फीडर का गहन निरीक्षण करना पड़ता है। इसके चलते जितना समय फॉल्ट को ठीक करने में लगता है, उससे कहीं ज्यादा समय फॉल्ट का पता लगाने में लग जाता है, साथ ही फॉल्ट को ठीक करने के लिए पूरे फीडर को बंद करना पड़ता है, लेकिन स्काडा का काम पूरा होने के बाद किसी लाइन में फॉल्ट होते ही रोशनीघर स्थित स्काडा कंट्रोल रूम की स्क्रीन के साथ-साथ उप महाप्रबंधक कार्यालय के कम्प्यूटर पर भी दिख जाएगा कि किस विद्युत लाइन के किन दो खम्बों के बीच में फॉल्ट हुआ है। स्काडा कंट्रोल रूम में तत्काल इसकी सूचना संबंधित ओएफसी गैंग को दी जाएगी, जो तत्काल मौके पर पहुंचकर कम से कम समय में फॉल्ट को ठीक करेगी। फॉल्ट को ठीक करने के दौरान बिजली आपूर्ति भी कम से कम इलाके में ही बाधित होगी। इसके अलावा किस उपकेन्द्र या लाइन पर कितना लोड चल रहा है। इसका भी कंट्रोल रूम की स्क्रीन पर पता चलता रहेगा। इसके साथ ही कंट्रोल रूम में ही बैठे-बैठे कर्मचारी बटन दबाकर किसी भी उपकेन्द्र से बिजली की आपूर्ति चालू या बंद करने में भी समर्थ होंगे।

इनका कहना है

स्काडा का काम मुम्बई की ओफश्योर कम्पनी से कराया जा रहा है। अभी तक 25 उपकेन्द्रों पर यह काम पूरा हो चुका है। शेष उपकेन्द्रों पर आगामी दिसम्बर अंत तक काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद फॉल्ट को कम से कम समय में ठीक करने में मदद मिलेगी।


आजाद जैन
नोडल अधिकारी स्काडा

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