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पुलिस पर भारी पड़ रहे अपराधी, धार्मिक भावनाओं को पहुंच रही ठेस

Update: 2017-06-28 00:00 GMT


भिण्ड, ब्यूरो। लहार क्षेत्र में लगातार हिन्दुओं की अस्मिता पर हमला हो रहा है, यहां हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियों को खण्डित करने की घटना को एक बार नहीं दो बार अंजाम दिया गया है। स्थानीय लोगों द्वारा देवी-देवताओं की मूर्ति खण्डित करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की तो उनके खिलाफ ही मामला दर्ज कराने की पुलिस प्रशासन ने धमकी दे डाली। भोलेभाले ग्रामीणजनों ने पुलिस भभकी से डरकर चुप्पी साधने में ही अपनी भलाई समझी। लेकिन अपराधियों के प्रशासन के इस रवैये से इतने हौसले बुलंद हुए और उन्होंने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे डाला। जिसे सुनकर ही दिल कांप जाए। रौन थाना क्षेत्र के अचलपुरा के हार में सोमवार की रात एक गाय को निर्दयता पूर्वक काटकर फैंका गया है। जिसका सिर धड़ से अलग कटा मिला है। पिछले माह दौलतपुरा में एक विशेष समुदाय द्वारा मन्दिर में स्थापित मूर्तियों को खण्डित किया गया। इसके पूर्व हनुमान जी की मूर्ति से कोई उनकी आंखें ही चुरा ले गया। लगातार हिन्दू देवी-देवताओं के मन्दिर पर हो रही तोड़-फोड़ से आक्रोषित लोगों ने अपराधियों के विरुद्ध मामला दर्ज कर कार्रवाई की मांग की और जाम भी लगा दिया। तब जाम के कारण स्थिति बिगड़ न जाए मौके पर पहुंचे पुलिस अधीक्षक व जिलाधीश ने आक्रोषित जनता को समझा-बुझाकर शांत करा दिया। लेकिन जब एक जनप्रतिनिधि ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई और अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग की तो उसके विरुद्ध ही मामला कायम करने की धमकी जिला प्रशासन ने दे डाली।

 प्रदेश में 15 वर्षों से भाजपा की सरकार है। लेकिन लहार के किले को भेदने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा है। लहार क्षेत्र का कार्यकर्ता अपने आपको नेतृत्व विहीन महसूस कर रहा है। यही कारण है कि मन्दिर की मूर्ति तोड़ने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने की बात तो दूर रही, ऐसे अपराधियों को पुलिस की गिरफ्त से कांग्रेसी नेता के कहने पर मुक्त करा दिया गया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जब क्षेत्रीय लोगों ने मूर्ति तोड़ने वालों को पकड़ लिया तो मौके पर पहुंचे जिला प्रशासन व स्थानीय जनप्रतिनिधि ने उन्हें मुक्त कैसे करा दिया। लहार क्षेत्र में घटित उक्त दोनों ही मूर्ति तोड़-फोड़ के मामले अभी तक आरोपियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज हैं। लेकिन पुलिस प्रशासन अब तक अपराधियों की शिनाख्त कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भेजने में कामयाब नहीं हुआ है।

निश्चित रूप से जिला प्रशासन व स्थानीय नेतृत्व के बल प्रदान से असमाजिक तत्वों के होंसले बुलंद हुए हैं और अचलपुरा में इतना विभीत्स काण्ड हो गया और पुलिस के हाथ अभी तक कोई सुराग नहीं है। स्थानीय नागरिकों के आक्रोष के बाद गायों के शव को जब्त कर अज्ञात के विरुद्ध मामला तो दर्ज कर लिया गया। लेकिन पूर्व में मूर्ति खण्डित होने की घटनाओं की तरह यह भी पुलिस के आपराधिक पंजी में दबकर रह जाना है। इससे यहां के लोगों में आक्रोष है। यदि पुलिस व जिला प्रशासन जनआक्रोश के फूटने से पहले ही नियंत्रण करने की मंशा रखता है तो उसे अब तक के इन तीन प्रकरणों की गहनता से जांच करनी चाहिए। यही नहीं यदि वह आवश्यक समझे तो इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच भी कराए। इन प्रकरणों में उप्र के जालौन जिले के एक विशेष वर्ग का हाथ होने का पूरा अंदेशा है।


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