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न्यायाधीश दलवीर भंडारी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के लिए पुनः नामांकित

Update: 2017-06-20 00:00 GMT


नई दिल्ली। देश के विधि इतिहास में अनेक ऐतिहासिक फैसले देने वाले और पदम भूषण से सम्मानित न्यायाधीश दलवीर भंडारी को भारत ने संयुक्त राष्ट्र के इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में दूसरे कार्यकाल के लिए अपना उम्मीदवार पुनः नामांकित किया है।

59 वर्ष के भंडारी अप्रैल 2012 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के लिए आम सभा और सुरक्षा परिषद में एक साथ डाले गए मतों से निर्वाचित हुए थे। उनका कार्यकाल 5 फरवरी 2018 तक है। विश्व अदालत के नाम से विख्यात इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का कार्यालय नीदरलैंड स्थित हैग में है। न्यायाधीश भंडारी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में जाने से पूर्व भारत में विभिन्न अदालतों में 20 वर्ष से अधिक समय तक उच्च पदों पर रहे। वह सुप्रीम कोर्ट में भी वरिष्ठ न्यायमूर्ति रहे थे।

न्यायाधीश भंडारी का मुकाबला लेबनान के संयुक्त राष्ट्र में स्थाई प्रतिद्वंदी नवाज सलाम से है। नामांकन नौ वर्ष के लिए होगा।1 अक्टूबर 1947 को वकीलों के परिवार में जन्में न्यायाधीश भंडारी के पिता और दादा राजस्थान बार एसोसिएशन के सदस्य थे| जोधपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत की। 1991 में वह दिल्ली आ गए और वकालत करने लगे। बाद में अक्टूबर 2005 में वह मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। 19 जून 2012 को उन्होंने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के सदस्य की शपथ ली।

जस्टिस भंडारी ने अनेक ऐतिहासिक फैसले दिये जिस पर सरकार ने कानून में बदलाव भी किये। उनके एतिहासिक फैसलों में हिंदू विवाह कानून 1955, बच्चों को अनिवार्य और नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार, रैनबसेरा, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों को सरकारी राशन बढ़ाने आदि प्रमुख हैं।

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