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14 मई को मनेगा हिन्दू विजयोत्सव, सीएम योगी करेंगे शिरकत

Update: 2017-05-08 00:00 GMT

लखनऊ। महाराज सुहेलदेव की विजयोत्सव तिथि के मौके पर आगामी 14 मई को राजधानी में चौक स्थित कन्वेशन सेन्टर में एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि और विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री विनायक विशिष्ट अतिथि होंगे।

प्रदेश के श्रावस्ती जनपद में 1009 ई. में बसन्त पंचमी के दिन पैदा हुए महाराजा सुहेद देव का जीवन राष्ट्र एकता, शूरवीरता की गाथाओं से भरा पड़ा है। हालांकि इसके बावजूद उन्हें इतिहास के पन्नों में वह जगह नहीं मिली, जिसके वह हकदार थे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) सुहेलदेव के जीवन से जुड़े अहम तथ्यों को इतिहास में प्रभावशाली रूप से शामिल करने की पैरवी करता आया है। वहीं विहिप अब संघ के इस विचार के तहत सुहेदव के बारे में जानकारियां आम जनता तक पहुंचा रहा है।

इसी कड़ी में राजधानी में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। खास बात है कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद संघ के वैचारिक संगठन के साथ यह उनका पहला कार्यक्रम है। संघ की मंशा के अनुरूप विहिप महाराजा सुहेलदेव के विचारों का प्रचार-प्रसार करने में जुटा हुआ है।

महाराजा सुहेलदेव के जीवन पर नजर डालें तो इनकी वीरता के कारण ही इन्हें महज 18 वर्ष की उम्र में श्रावस्ती का महाराजा बना दिया गया था। सुहेल देव ने अपने साम्राज्य का विस्तार नेपाल से लेकर दक्षिण कौशाम्बी तक और पूर्व में बैशाली से लेकर पश्चिम में गढ़वाल तक किया था। वहीं दुर्दान्त आक्रान्ता महमूद गजनबी की मौत के बाद उसके भांजे सालार मसूद ने अपने पिता सालार के साथ जब भारत पर आक्रमण किया और यहां लूटपाट, धर्मान्तरण, मन्दिरों को ध्वस्त करने जैसे दुष्कृत्य किए तब महाराजा सुहेल देव ने ही इस आतंक का अन्त किया।
सालार मसूद गाजी अपने पिता के साथ विक्रम संवत 1088 में देश में आक्रमण करने आया था। बहराइच पर आक्रमण के समय सालार मसूद गाजी विशाल सेना के साथ युद्ध के लिए तैयार था। उस समय महाराजा सुहेल देव ने 21 राजाओं को संगठित करते हुए ऐसी कुशल व्यूह रचना की, जिससे सालार मसूद गाजी की सेना को पराजय का सामना करना पड़ा। महाराजा सुहेद देव ने इस युद्ध में मसूद गाजी का सिर काट डाला था और देश को इस आक्रान्ता की लूट से बचाया था।
महाराजा सुहेलदेव की यह अभूतपूर्व विजय ज्येष्ठ माह के पहले गुरूवार के बाद पड़ने वाले रविवार को मिली थी, इसलिए देश के पूर्वोत्तर भाग की जनता सुहेल देव का विजयोत्सव तिथि के अनुसार मनाती आ रही है। विहिप इसे हिन्दू विजयोत्सव कहकर सम्बोधित करती है। वहीं राजधानी में इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाली महाराजा सुहेलदेव आयोजन समिति के मुताबिक आज देश को उसी तरह एकत्र करने की जरूरत है, जिस तरह सुहेलदेव ने सालार की विशाल सेना को पराजित करने के लिए छोटे-बड़े राजाओं को एक झण्डे के तले वीरता के लिए तैयार किया था।
 

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