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दिल्ली मोती बाग गुरुद्वारे में रहकर ऋषभ पंत ने सीखा था क्रिकेट

Update: 2017-05-06 00:00 GMT

नई दिल्ली| भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत ने अपनी पूरी जिंदगी बहुत सी कठनाइयों से गुजारी है| लेकिन पंत ने अपने हुनर का सिक्का पुरे देश को दिखाया और एक चमकदार सितारे के रूप में उभर कर सामने आये है|  रुड़की में रहने वाला पंत का परिवार उन्‍हें दिल्‍ली क्रिकेट की टॉप एकेडमी में भर्ती कराना चाहता था।ऋषभ के कोच देवेंद्र शर्मा के मुताबिक, 6-7 साल पहले एक कैंप में पंत के पिता ने दोनों को मिलाया था। पंत को दिल्‍ली में कोचिंग लेनी थी, इसलिए वह अपनी मां के साथ राजधानी आ गए।

मगर पंत के पास रहने की कोई जगह नहीं थी, इसलिए वह मोती बाग गुरुद्वारा में मां-बेटे रहते थे। बेटा जहां पिता के सपनों को पूरा करने में जी-जान से जुटा था, वहीं मां गुरुद्वारे में सेवा किया करती थी। उसी दौर में पंत ने एक अंडर-12 टूर्नामेंट में तीन शानदार शतक जड़े और प्‍लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब हासिल किया। इसके बाद जल्‍द ही उन्‍हें दिल्‍ली कैंट के एयरफोर्स स्‍कूल में दाखिला मिल गया। फिर ऋ‍षभ ने पीछे मुछ़कर नहीं देखा।

अंडर-19 वर्ल्‍ड कप 2016 में नेपाल के खिलाफ 18 गेंदों में हॉफ सेंचुरी जड़कर नया रिकॉर्ड बना दिया था।इसी टूर्नामेंट में पंत ने नामीबिया के खिलाफ शतक जड़कर टीम इंडिया को सेमीफाइनल में पहुंचने में मदद की। उसी दिन में पंत को दिल्‍ली डेयरडेविल्‍स ने 1.9 करोड़ रुपए में खरीदा। उन्‍होंने रणजी ट्रॉफी में महाराष्‍ट्र के खिलाफ तिहरा शतक भी जड़ा था। पंत ने 10 प्रथम श्रेणी मैचों की 16 पारियों में 1080 रन बनाए हैं, इसमें 4 शतक और 3 अर्द्धशतक शामिल हैं।बेहद आक्रामक अंदाज में बल्‍लेबाजी करने वाले ऋषभ 2016-17 क्रिकेट सत्र में झारखंड के खिलाफ 48 गेंदों में शतक जड़कर तहलका मचा दिया था।

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