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लेडयुक्त पीवीसी पाइप की बिक्री रोकने केन्द्र सरकार उठाए कदम

Update: 2017-05-27 00:00 GMT

एनजीटी ने दिए निर्देश मिनिस्ट्री आॅफ एनवायरमेंट फॉरेस्ट को दिए निर्देश चार सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

ग्वालियर। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने पीवीसी प्लास्टिक पाइप में लेड का प्रयोग होने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान मिनिस्ट्री आॅफ एनवायरमेंट फॉरेस्ट के सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह चार सप्ताह में विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश करें कि पीवीसी प्लास्टिक पाइप में लेड की कितनी मात्रा है। इसके साथ ही ब्यूरो आॅफ इंडियन स्टेण्डर्ड के तहत पाइप में लेड की मात्रा गाइडलाइन के अनुरूप है या नहीं। इसके साथ ही एक कार्यक्रम बनाकर पूरे देश भर में लेडयुक्त पाइपों की बिक्री को रोकने के लिए अभियान चलाएं।

यहां बता दें कि जन सहयोग मंच, दिल्ली ने अधिवक्ता अभिनव अग्निहोत्री और दीपक बोरा के माध्यम से राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में इस आशय की जनहित याचिका प्रस्तुत की है कि पीवीसी पाइप में लेड के ज्यादा इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए। याचिका के अनुसार पूरे देश में लेडयुक्त पाइपों की बिक्री हो रही है। इस लेडयुक्त पाइपों के प्रयोग से पर्यावरण को तो नुकसान हो ही रहा है वहीं मानव शरीर पर भी इसका घातक असर हो रहा है। अधिवक्ता श्री अग्निहोत्री ने बताया कि पानी के पाइप में लेड की मात्रा अधिक होने से सबसे ज्यादा गर्मी में दुष्परिणाम देखे जा रहे हैं। गर्मी में ज्यादा तापमान होने पर लेड पानी में घुलकर लोगों के शरीर के अंदर प्रवेश कर खतरनाक बीमारियों को जन्म दे रहा है। अधिवक्ता के अनुसार चीन और यूएस में लेडयुक्त पाइपों पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने निर्देश दिए हैं कि चार सप्ताह के अंदर इसकी रिपोर्ट पेश की जाए और रिपोर्ट पेश नहीं की जाती है तो मिनिस्ट्री आॅफ एनवायरमेंट फॉरेस्ट के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

एनीमिया सहित अन्य गंभीर बीमारियां ले रही हैं जन्म


राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में प्रस्तुत याचिका के अनुसार लेडयुक्त पाइपों के लगातार प्रयोग से मानव को हीमोग्लोबिन कम हो रहा है और एनीमिया, रक्तचाप व नर्वस सिस्टम खराब हो रहा है। वहीं मुंह, सिर या गर्दन में जलन, स्किन एलर्जी, हाथ-पैर में कमजोरी, सिरदर्द और पेट की तकलीफों के मामले सामने आ रहे हैं।

किडनी भी हो सकती है खराब

बहुत ज्यादा मात्रा में लेड का सेवन गंभीर स्वास्थ्य दिक्कतें पैदा कर सकता है। इससे न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें, खून के प्रवाह में समस्या और किडनी फेल होने तक की नौबत आ सकती है। इसमें सबसे ज्यादा समस्या गर्भवती महिलाओं को होने की संभावना बताई गई है। लेड के शरीर में जाने से अंदर पल रहे बच्चों को ज्यादा खतरा हो सकता है। इससे उनके विकास में रुकावट आ सकती है। पेट दर्द, नर्व डैमेज और दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंच सकता है।

 

 
 
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