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कैट ने जीएसटी लागू करने के लिए किया वित्त मंत्री से आग्रह किया

Update: 2017-05-22 00:00 GMT

 

नई दिल्ली। नॉन-कॉरपोरेट सेक्टर का प्रतिनिधित्व करने वाली राष्ट्रीय संस्था, कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने वित्त मंत्री अरूण जेटली से अनुरोध किया है कि जीएसटी को देश में सफलतापूर्वक लागू करने के लिए व्यापार एवं उद्योग को पूरी तरह तैयार करने और मौजूदा मैन्युअल प्रक्रिया से टेक्नोलॉजी आधारित जीएसटी कर व्यवस्था में सुचारू रूप से ले जाने के लिए एक बृहद कार्य योजना तैयार करने का आग्रह किया है।

कैट ने कहा है की हाल ही में जीएसटी के विभिन्न कर स्लैब में डाली गयी वस्तुओं में अनेक विसंगतियां है जिनको दूर किया जाना जरूरी है और इस दृष्टि से सरकार को वरिष्ठ अधिकारियों और व्यापार एवं उद्योग के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति गठित करनी चाहिए जो आपसी परामर्श के आधार पर इन विसंगतियों को दूर करें जिससे जीएसटी एक सर्वस्वीकार कर प्रणाली के रूप में उभरे और स्वत कर पालना को तो प्रोत्सासाहन मिले | साथ ही सरकारों के राजस्व में भी वृद्धि हो। खेद है की अभी तक व्यापार से जुड़े संगठनों से इस मुद्दे पर कोई सार्थक चर्चा की ही नहीं गयी है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने सुझाव दिया है कि सरकार द्वारा एक विशेष कार्य समूह बनाया जाए जिसमें जीएसटी कर प्रणाली को अपनाने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों और उपकरणों की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए इलेक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) तथा डिजिटल व्यवसाय परिचालन अपनाने के लिए गैर-कॉरपोरेट क्षेत्र को प्रशिक्षित करने के लिए कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय और साथ ही अन्य सरकारी निकायों जैसे कि गैर-कॉरपोरेट क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ते वित्तीय समावेशन एवं डिजिटल भुगतान प्रणाली पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वित्तीय सेवा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक इत्यादि के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि इस अभियान को चलाने के लिए वाणिज्य मंत्रालय को नोडल मिनिस्ट्री बनाया जा सकता है। व्यापक आउटरीच के लिए खुदरा व्यापार के साथ जुड़े कई अन्य मंत्रालयों जैसे एमएसएमई मंत्रालय, टेक्सटाइल मंत्रालय, कृषि, ट्रांसपोर्ट,खाद्य प्रसंस्करण, उपभोक्ता मामलों आदि को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है ताकि वे अपने मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले व्यापारी समूहों को जीएसटी के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।

खंडेलवाल ने कहा, कैट समझता है कि जीएसटी कर व्यवस्था के सफल लांच द्वारा देश को ‘एक बाजार’ में बदलने के उद्देश्य से सभी संबंधित हितधारकों और निर्णय निर्माताओं के लिए रणनीतियों एवं योजनाओं का निष्पादन सामूहिक रूप से किया जाना आवश्यक है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह महत्वपूर्ण है कि व्यापारी और गैर-कॉर्पोरेट क्षेत्र सरकारी निकायों के विचार मंथन सत्रों का हिस्सा बनें ताकि यह क्षेत्र, जो कि मूल्य संवर्धन, बचत, निवेश, इत्यादि के मायने में अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा है और जिसका राष्ट्रीय आय में योगदान लगभग 57% है, की चुनौतियों का समाधान निकाला जा सके।”
प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि अच्छी तरह से किए गए रणनीतिक बदलाव से कर दाताओं की लागत में कमी आएगी। अपने निर्वाचन क्षेत्रों में संसद सदस्य (सांसदों) की प्रत्यक्ष बातचीत के साथ ही सम्मेलनों, कार्यशालाओं, सेमिनारों एवं जीएसटी कर व्यवस्था के अंतिम मील के फायदों के त्वरित समाधान द्वारा करदाताओं द्वारा सामना किए जाने वाली चिंताओं और चुनौतियों की रिकॉर्डिंग तथा उनका त्वरित समाधान निकालने में सहायक होगा। जीएसटी कराधान प्रणाली का समर्थन करते हुए व्यापारिक नेताओं ने कहा कि जीएसटी लीकेज की जांच करने तथा पारदर्शिता में वृद्धि करने में सक्षम होगा और यह सप्लाई चेन को कुशल एवं उत्पादक बना देगा जिससे कीमतें कम होंगी।

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