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कश्मीर में एक नया जिहाद...

Update: 2017-05-10 00:00 GMT

 

आज कश्मीर घाटी कट्टर इस्लाम के कारण युध्य क्षेत्र बनता जा रहा है । कुछ महीने पहले पेरिस मे हुआ आतंकी हमला इसी सोच का नतीजा था । और कट्टरता की यही सोच सभी जिहादी आतंकी हमलो के पीछे पाई जाती है। जब तक इस विधा या सोच को अपनाते रहेंगे तब तक हम शांति की बात नही कर सकते ।

वर्तमान मे पूरे संसार से जिहाद को ख़त्म करना जब तक असंभव है तब तक मुस्लिम इसका समर्थन करते रहेंगे...

 इसलिए क्या कश्मीर मे जिहाद के नाम पर हो रहे आतंकवाद का ख़ात्मा असंभव है ?

जिहादियों के बहकावे में आकर युवा और छोटे बच्चे जो राजनीति नही समझते लेकिन अन्य भारतीयो से धर्म के आधार पर अंतर मान कर कश्मीर की गलियों मे हिंसा फैलाने का काम बखूबी निभाते है । अगर किसी को इन हिंसाओं के पीछे इस्लाम के ना होने का शक है तो उन्हे वह वीडियो देखना चाहिए जो हिज़्बुल मुजाहिदीन के कॉंमांडर का है जो बुरहान बानी के मरने के बाद बना है। ज़ाकिर रशीद कहता है कि ज्ब वे पत्थर या बंदूक उठाते है तब उनका यह उद्देश्य नही होता कि वे ये सब कश्मीर के लिए कर रहे है बल्कि ये सब इस्लाम को सर्व शक्तिमान करने के लिए होता है जिससे यहा भी शरिया कानून लागू हो सके । भट्ट कहता है कि इस्लाम मे राष्ट्रवाद और लोकतंत्र को नही माना जाता । हाल मे ही घाटी के उपचुनाव मे सबसे कम वोटिंग हुई पोलिंग बूथ को जला कर ईवीएम मसीनो को नष्ट कर दिया गया ।  आश्चर्य तो इस बात का है चुनाव के बाद भी राजनीतिक पार्टी इन पत्थरबाजो को राष्ट्रवादी और भटके हुए नौजबान बताने मे लगे है। अभी पिछले दीनो वायरल हुए वीडियो मे सैनिको पर कश्मीरी युवको द्वारा किए गये अत्याचार गाली गलौज करते दिखाया गया है ये वे सैनिक है जो अपनी पवित्र धरती के लिए भारत माता के दुश्मनों  से लड़ रहे है । यदि इसी उग्र इस्लाम के वजह से 1947 मे भारत का विभाजन हुआ था, तो फिर आज कौन सा इस्लाम कश्मीर पर थोपा जा रहा है । यदि शांति स्थापित हो जाती तो युध्य की रणनीति बनाने की क्या ज़रूरत पड़ती । इन उदार समालोचकों के अनुसार सामान्य वार्तालाप से शांति स्थापित की जा सकती है । यदि वे अपनी आँखे खोले तो कश्मीर मे समस्याओ का नया अध्याय खुल चुका है ।  अब ह्म एतिहासिक  समस्याओ के लिए कुछ नही कर सकते ।  सन 1984  मे इंदिरा गाँधी ने दो बड़ी राजनीतिक भूले की -

 * पंजाब मे ऑपरेशन ब्लू स्टार, और

* एक महीने बाद श्रीनगर मे फ़ारूख़ अब्दुल्ला की सरकार गिरा देना ।

स्वर्ण मंदिर पर हुए सैन्य हमले के कारण पंजाब में विद्रोह होने लगा, लेकिन सरकार ने स्थिति को संभाल लिया । जबकि कश्मीर के बर्तमान हाल का 1984 की इस घटना से कोई लेना देना नही है। इसे तो दुनिया भर के जिहाद से लेना देना है कैसे बुरहान बानी का उत्तराधिकारी इतनी स्पष्टता से कहता है यही कारण है कि मोदी सरकार से कोई सौदा नही हो पा रहा है अब यह खेल के पुराने नियमो से नही हो सकता क्योंकि अब गोल पोस्ट बदल चुका है ।  यह मेरा अनुरोध है कि भारत के प्रधानमंत्री को 1947 से हुई ग़लतियो की सूची बनाने क़ी आवश्यकता नही है। घाटी मे युवा ज़िहाद से प्रेरित है यही प्रमुख समस्या है अगर अब इस समस्या का समाधान कि अब क्या किया जाना चाहिए । इस बड़े व सुंदर राज्य के अधिक शांतिपूर्ण हिस्सो को घाटी से अलग करने का कठिन सुझाव एक पेशकश हो सकता है ।  लद्दाख और जम्मू के लोगो ने कभी कश्मीर के इतिहास को परेशान नही किया लेकिन अब इन लोगो को इसके लिए भुगतान करना पड़ रहा है लद्दाख अपनी जंगली प्राकृतिक सुंदरता और प्राचीन बौद्ध इतिहास के कारण कश्मीर से ज़्यादा विदेशी पर्यटक आकर्षित कर सकता है लेकिन इनके लिए एक प्रकार के बुनियादी ढाँचे पूरी तरह से अद्रश्य है। जम्मू पहले से ही हिंदू तीर्थ पर्यटको को आकर्षित करता है इनमे इजाफा हो सकता है यदि बुनियादी ढाँचे पर निवेश किया जाए।

प्रधानमंत्री इसमे योजनावद्ध तरीके से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है यह राज्य यदि सौ वर्ष तक भी हिंसा से घिरा रहे फिर भी कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना रहेगा। और उन कश्मीरियों के लिए जिनके लिए इस्लाम राष्ट्र से उपर है उनके लिए हमेशा इस्लाम गणराज्य दरबाजे के बाहर है।

 

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