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मैंने जबसे होश संभाला है खिलौनों की जगह मौत से खेलता आया हूं।..... ऐसे थे विनोद खन्ना

Update: 2017-04-27 00:00 GMT

मैंने जबसे होश संभाला है खिलौनों की जगह मौत से खेलता आया हूं।….. ये डायलाग थे सर्वश्रेष्ठ फिल्म अभिनेता विनोद खन्ना के उन्होंने जैसा जीवन जिया है ये लाइन बखूबी उन पर चरितार्थ होती है. विनोद खन्ना का 70 वर्ष की आयु में हॉस्पिटल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह पिछले कुछ हफ्तों से मुंबई के सर एच.एन. रिलांसन फाउंडेशन अस्पताल और रिसर्च सेंटर में भर्ती थे और लम्बे समय से बीमारी से लड़ रहे थे। बॉलीवुड के लिए यह अपूर्णीय क्षति है ।

खन्ना ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत सुनील दत्त के साथ सहायक कलाकार के रूप में "मन का मीत" नामक फिल्म से की। करियर के शुरूआती दौर में उन्होंने आन मिलो सजना, पूरव और पश्चिम, मस्ताना जैसी सुपर हिट फिल्मों में  खलनायक व सहायक कलाकार के रूप में काम किया। इसमें मिली अपार सफलता के बाद विनोद खन्ना का करियर परवान चढ़ा बतौर हीरो उनकी पहली फिल्म 'हम तुम और वो' थी।  उसके बाद गुजार की फिल्म 'मेरे अपने ' में काम करने का  मौका मिला। 80 के दशक में उन्होंने बतौर नायक'फरेबी', 'गद्दार','हत्यारा' में सफल भूमिका निभाई। 'राजपूत' और 'प्रेम कहानी'  जैसी फिल्मों में विनोद खन्ना और राजेश खन्ना ने साथ साथ काम किया और परदे के पीछे भी उनकी दोस्ती बहुत सफल रही। इसके अलावा परर्विश, हेरा - फेरी, खून पासीना, अमर अकबर एंथोनी में बतौर नायक काम कर रहे विनोद खन्ना को अमिताभ बच्चन और जीतेन्द्र से ज्यादा फीस मिलने लगी थी। पिछले कुछ वर्षो में उन्होंने दबंग, दबंग 2, प्लेयर्स जैसी  कुछ हिन्दी फिल्मों में यादगार किरदार निभाएं हैं। उनकी आखरी फिल्म विजयाराजे सिंधिया के जीवन पर आधारित " एक थी रानी ऐसी भी " थी, जिसमे उन्होंने जीवाजी राव सिंधिया का किरदार निभाया था, जो हाल ही में 18 अप्रैल को रिलीज़ हुई है।  

इसके बाद उन्होंने राजनीती में हाथ आजमाए जिसमे वो सफल भी हुए, उन्होंने 1997 में भारतीय जनता पार्टी से राजनीती कि शुरूआत करने के बाद पंजाब के गुरुदासपुर से लोकसभा का चुनाव जीते। 1999  में वह फिर से गुरुदासपुर से लोकसभआ चुनाव जीते और 2002  में  संस्कृति और पर्यटन मंत्री बनाया गया। कुछ ही दिनों बाद उन्हें बाद ही उनको अति महत्वपूर्ण विदेश मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री बना दिया गया। 2009 में वह पहली बार चुनाव हारे।  उसके बाद 2014 में गुरुदासपुर सीट से ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद प्रताप सिंह वाजवा को भारी मतों से हरा दिया।  

विनोद खन्ना ने कार्य कुशलता की बदौलत सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता श्रेणी में फिल्मफेयर अवॉर्ड, 1999 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, और फिर 2007 में उन्होंने ज़ी सिने पुरस्कारों में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड जीता। 

बहुमुखी प्रतिभा के धनि "विनोद खन्ना" ने फिल्मों  शुरुआत बतौर  विलेन की और उसके बाद  उन्हें नायक के रूप में काम करने का मौका मिला।  उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।  150  से ज्यादा फ़िल्में कर चुके विनोद खन्ना नें 25 से ज्यादा हिट फ़िल्में दी। जिनमें  पूर्व और पश्चिम ( 19970 ), कच्चे धागे (1973), परवरिश (1977 ), राजपूत (1982 ), मेरा गाओं  मेरादेश (1971 ), क्षत्रिय (1993 ) आदि हिट फिल्मों मैं काम कर चुके हैं। 

विनोद खन्ना का एक प्रेरणा देने वाला डायलाग.....

 

“दर्द की दवा ना हो तो दर्द को ही दवा समझ लेना चाहिए।“

 

अगर हम अपनी परेशानियों से विचलित ना होकर हम इनके डायलॉग को अपने जीवन में उतारे तो परेशानियों का अच्छे से मुकाबला कर सकते है।

 

(लेखक - महेंद्र भार्गव, जीवाजी विश्वविद्यालय ) 

 
 
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