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कृपांक खत्म करने की तैयारी में केंद्र सरकार

Update: 2017-04-15 00:00 GMT

नई दिल्ली| अगर देश के विभिन्न शिक्षा बोर्ड कृपांक की परंपरा खत्म करने को राजी हो जाते हैं तो अंडरग्रैजुएट कोर्सों में दाखिले के लिए कटआॅफ में गिरावट आ सकती है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय राज्य बोर्डों द्वारा दिए जाने वाले कृपांक को खत्म करने की योजना बना रहा है।

देश के कुछ बोर्ड छात्रों को उन विषयों में बढ़ाकर अंक दिए जाते हैं, जिसके बारे में यह समझा जाता है कि उसमें पूछे गए कुछ सवाल कठिन थे। इसे कृपांक कहते हैं और इसे बोर्ड की 'मॉडरेशन' योजना के नाम से जाना जाता है। इसको यूं समझ सकते हैं कि जैसे किसी छात्र ने किसी विषय में 70 नंबर हासिल किया और बोर्ड को लगता है कि प्रश्न-पत्र कठिन था, तो उसे 15 नंबर अतिरिक्त दे दिए। इस तरह कुल मिलाकर उसका प्राप्तांक 85 हो गया। मॉडरेशन योजना के तहत कठिन सवालों के लिए छात्रों को 15 फीसदी तक कृपांक दिए जाते हैं। जुलाई 2016 में एक समाचार-पत्र ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि 12वीं के गणित के प्रश्न-पत्र में सीबीएसई ने छात्रों को अतिरिक्त अंक के तौर पर 16 नंबर दिए थे और दिल्ली सेट के सवालों के लिए 15 अंक दिए थे। यानी जिन छात्रों के गणित में असल नंबर 77 थे, कृपांक के साथ उनके नंबर 93 हो गए। मौजूदा समय में किसी प्रश्न-पत्र के कठिन होने की शिकायत मिलने पर सीबीएसई विशेषज्ञ का एक पैनल गठित करता है। यह पैनल सवालों का अध्ययन करता है और सिफारिश करता है कि प्रत्येक परीक्षार्थी को कितना अतिरिक्त अंक दिए जाए।

दिसंबर 2016 में सीबीएसई ने सुझाव दिया था कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) की मद्द से सभी राज्य बोर्डों को कृपांक को खत्म करने को लेकर राजी किया जा सकता है। सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगर कोई एक बोर्ड इस परंपरा को खत्म करता है तो अंडरग्रैजुएट दाखिले में उसके छात्रों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए सभी राज्य के बोर्डों को इसके लिए राजी करना जरूरी है। एक वरिष्ठ एचआरडी अधिकारी के मुताबिक, 'मंत्रालय ने 24 अप्रैल को सभी राज्य के शिक्षा सचिवों और राज्य बोर्डों के अध्यक्षों की बैठक बुलाई है और उम्मीद है कि वहां इस मामले को उठाया जाएगा। सीबीएसई के सुझावों पर इस बैठक में गौर किया जाएगा और हम कोशिश करेंगे कि इस मामले में एकराय बने।'

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