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नंदगांव की हुरियारिनों ने बरसाईं प्रेम पगी लाठियां

Update: 2017-03-08 00:00 GMT

देश्-विदेश से आये श्रद्धालु अद्भुत दृश्य देख हुए अभिभूत

बरसाना के बाद कान्हा के आंगन में बिखरी सतरंगी छटा
मथुरा
 हंसी ठिठोली के बीच उड़ते रंगों और प्रेमपगी लाठियों के बीच बरसाने के हुरियारे अपनी ढालों की ओट से स्वयं को नंदगांव की हुरियारिनों से बचाते नजर आये।


द्वापर युग से चली आ रही परम्परागत लठामार होली खेलने के बाद बरसाना के ग्वाल सखी भाव से अपनी होली का फगुवा मांगने के लिए नन्दभवन पंहुचे। बरसाना में खेली गयी लठामार होली के परिणामस्वरूप बरसाना की सखी स्वरूप ग्वाल होली का फगुवा मांगने आये। इस पर बरसाना के हुरियारों से नन्दगांव में हुरियारिनों ने डट कर होली खेली। बरसाना के ग्वालों ने यशोदा कुण्ड पर भांग ठण्डाई छानकर अपनी पागों को बांधा। इसके उपरांत ही ठिठोली करते हुए नन्दभवन पर हुरियारे आये। हुरियारों के नन्दभवन पहुचते ही नंदगांव के ग्वाल उन पर टेसू के फूलों का रंग, अबीर, गुलाल आदि बरसाने लगे। इसके प्रत्युत्तर में बरसाना के हुरियारों ने भी उनपर रंग और गुलाल बरसाया।

चहुंओर अबीर, गुलाल की इस बारिश से पूरा नन्दभवन सतरंगी हो गया। इस सतरंगी बरसात से कोई भी अछूता न रहा। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने आज नंदगांव में लठामार होली का जमकर आनन्द लिया। नन्दगांव में आज जब होली खेलने के लिए बरसाना के हुरियारे यशोदा कुंड के पास पहुंचे तो उनका बरसानावासियों ने स्वागत भांग और ठंडाई से किया। इसके बाद हुरियार नन्दबाबा मंदिर गए जहां पर उन्होंने होली खेलने की इजाजत मांगी। वे मंदिर से जब नीचे आने लगे तो मार्ग में सजी धजी गोपियों से उन्होंने हंसी ठिठौली की और गुलाल और रंग की वर्षा भी की। गोपिकाओं के मना करने पर भी जब उन्होंने रंग गुलाल डालना एवं हंसी ठिठौली बंद न की तो गोपियों ने लाठियों से उनकी पिटाई करना शुरु कर दिया। उधर रसिया गायन हो रहा था। लठामार होली की चरम परिणति में गोपियां हुरियारों की पिटाई कर रही थीं और हुरियार वार को बचा रहे थे।

लाठियों के बार से बचने के लिए हुरियारों ने अपने सिर पर ढाल रख ली। हुरियारे छेड़ते रहे और नंदगांव की गोपियां लाठियां बरसाती रहीं। करीब एक घंटे तक यह दौर चलता रहा। ताबड़तोड़ लाठियों के वार के बीच राधारानी की जय-जयकार होती रही। नंदगांव की छतों, छज्जों पर लदे देश-विदेश से आए हजारों लोग पूरे उत्सव का आनंद ले रहे थे। लठामार होली के साथ-साथ रंग और गुलाल से पूरा माहौल रंगीन हो गया था।

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