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मैं कौन हूँ ?

Update: 2017-03-05 00:00 GMT


कभी कुछ दबा सा था मैं,

हवाओं से भी डरा था मैं,

आत्मविश्वास की कुछ कमी से,

अपनें में ही बँधा था मैं।

 

न मैं किसी से कुछ कहता,

मन ही मन रोता और सहता,

भीड़ में भटका हुआ था मैं,

खुद को ही खोजता रहता ।

 

भूल - भूलैया  जैसा मन था,

रास्ता ज़रा भी न कम था,

बस इक तलाश न पता किसकी ,

मैं सारथी या फिर रथ था ।

 

आत्म ज्ञान का पृष्ठ दिखा तब,

पथ प्रदर्शित कोई था न जब,

"मैं कौन हूँ ?" की खोज थी वो बस,

उपहार थी हीरे सी दमक अब ।

 *****

             लेखक  - सत्यम् अग्रवाल

 
 
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