देव पूजा में पंचामृत का विशेष महत्व है। पंचामृत दूध, घी, शहद, शकर तथा दही मिलाकर बनाया जाता है लेकिन दूध का विशेष रूप से मिलाना शुभता का प्रतीक है।
शास्त्र में इस बात का उल्लेख मिलता है कि दूध के बाराबर धवल अर्थात सफेद और निर्मल कोई पदार्थ नहीं होता है। पंचामृत में दूध का भाग मनुष्य के निर्मल अंदर से दुग्धवत अर्थात धवल अर्थात सच्चरित्र बनाने का काम करता है।
इसी तरह दही शीतल तथा गाढ़ा होने से मनुष्य में सूक्ष्म रूप से गंभीरता, शीतलता अर्थात संतुलन, स्थिरता आदि के सद्गुणों को बढ़ाता है। जबकि घी तरल, स्नेहयुक्त और गंभीरता का प्रदर्शक हैै। इसके सेवन से मनुष्य का व्यवहार नम्र और स्नेह पूर्वक बना रहता है।