रत्नो में एक अजीब आकृ्षण शक्ति पाई जाती है। इसलिये रत्नों को एक बार देखने के बाद इनकी चमक व किरणों को बार-बार देखने का भाव बना रहता है। अदभूत वस्तुओं की ओर हमेशा से मनुष्य आकर्षित और उत्साहित रहा है। रत्न कई प्रकार के होते है। इसलिए उनकी धारण करने का भी तरीका होता है। आइए जानते हैं मूंगा रत्न को धारण करने के योग —
जन्म कुण्डली में जब मंगल अस्त, नीच, प्रभावहीन या अनिष्ट करने वाला हों, तो इस प्रकार की अशुभता में कमी करने के लिये मंगल रत्न मूंगा धारण करना चाहिए। मंगल कुण्डली में जब अशुभ ग्रहों के साथ हों तो व्यक्ति में शीघ्र क्रोध या उतेजना आने की संभावना रहती है। इस प्रकार के स्वभाव में संतुलन लाने के लिये व्यक्ति को मूंगा धारण करना चाहिए।
जिस व्यक्ति की कुण्डली में मंगल की महादशा आरम्भ हुई हों या अन्तर्दशा के शुभ फल प्राप्त न हों रहे हों इस स्थिति में मूंगा रत्न धारण करने से लाभ प्राप्त होता है।
जब जन्म कुण्डली में मंगल तीसरे स्थान में हो तो व्यक्ति के अपने भाईयों से मतभेद रहते है। इस योग में व्यक्ति के संबन्ध अपने पिता से मधुर न रहने की संभावना बनती है। कुण्डली में इस प्रकार के दोषों को दूर करने के लिये व्यक्ति को मूंगा रत्न धारण करना चाहिए।
मंगल दूसरे भाव में स्थित होकर नवम भाव की शुभता में कमी कर रहा होता है। व्यक्ति को सफलता प्राप्ति के लिये जीवन के अनेक कार्यो में मेहनत के साथ-साथ भाग्य का सहयोग भी साथ होना जरूरी होता है। और यह तभी हो सकता है।