सफाई के नाम पर नियमों की अनदेखी
भोपाल। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सफाई के नाम पर जमकर सरकारी बजट का दुरुपयोग किया जा रहा है। अधिकांश अस्पतालों में स्वीकृत बजट से ज्यादा सफाई पर खर्च करने के बाद भी गंदगी फैली रहती है। स्वीकृत राशि से अधिक खर्च करने के मामले में वित्त विभाग संचालक ने निर्धारित मानकों के अनुसार ही सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति के आदेश दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि निर्धारित मापदंड से अधिक सफाई कर्मचारी रखने पर होने वाले खर्च की जिम्मेदारी जेडी, सीएमएचओ एवं सिविल सर्जन की होगी। दरअसल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी वित्त विभाग के निदेर्शों का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं। इसे लेकर लगातार आपत्ति जताई जा रही है। सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा एवं सफाईकर्मी लगाने के मापदंड तय हैं। जिसमें कितने बिस्तरों के अस्पतालों में कितने कर्मचारी लगाने हैं, यह पहले से तय है। इसके बावजूद अधिकारी अपने फायदे के लिए ठेकेदार के जरिए मनमाफिक कर्मचारी लगा रहे हैं।
इनका वेतन भी अन्य मदों से निकाला जा रहा है। प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए भुगतान के बिलों को देखते हुए वित्त विभाग संचालक केएल साहू ने पत्र लिखकर नाराजगी जताई थी, लेकिन इसके बावजूद अधिकारियों ने ध्यान नहीं रखा। श्री साहू ने एक बार फिर पत्र लिखकर तय मानकों के अनुसार ही सफाई कर्मचारी रखने की हिदायत दी है।
100 बिस्तरों के अस्पताल में ही सुपरवाइजर
शासन के बजट को चूना लगाने अधिकारियों ने सामु. स्वास्थ्य केंद्रों पर भी सुपरवाइजर की नियुक्ति दर्शा दी है। जबकि शासन के आदेशानुसार 100 बिस्तरों से ऊपर वाले अस्पतालों में सुपरवाइजर रखे जाने हैं। किस अस्पताल में कितने कर्मचारी एवं सुपरवाइजरों की ड्यटी लगानी है।