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माता सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं बसंत पंचमी

Update: 2017-02-01 00:00 GMT

बसंत पंचमी के दिन को माता सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि, बसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी। इस कारण बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है। देवी सरस्वती को कला की देवी मानी जाती हैं।
देवी सरस्वती का वाहन हंस है। वह कमल पर विराजती हैं। वीणा उनके हाथों में हमेशा मौजूद रहती है। हिंदू धर्म ग्रंथों में उल्लेखित एक पौराणिक कहानी के अनुसार वीणा का सृजन स्वयं भगवान शिव ने पार्वती देवी के रूप को समर्पित करते हुए किया था। अमूमन धार्मिक काव्य ग्रंथों में सौंदर्य के प्रसंग में वीणा का उल्लेख होता है।

देवी सरस्वती की पूजा भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण एशिया के देशों थाइलैण्ड, इण्डोनेशिया, जापान एवं अन्य देशों में भी होती है। जापान में बेंजाइटन, म्यांमार में थुयथदीश और तिपिटक मेदा, चीन में बियानचाइत्यान और थाईलैण्ड में देवी सरस्वती को सुरसवदी के नाम से भी जाना जाता है।

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