ब्यूरोक्रेसी व बदमाशों के लिए हाई कोर्ट रहा कड़ा

Update: 2017-12-30 00:00 GMT

इलाहाबाद। हाईकोर्ट के जज यूँ तो कानून के परिधि में दोषी सभी के लिए कड़े दिखे। परन्तु इस वर्ष कोर्ट का रवैया कानून का उल्लंघन करते पाए गये ब्यूरोक्रेसी व बदमाशों के प्रति कुछ ज्यादा कड़ा ।

कोर्ट के आदेशों की अवमानना करने वाले आईएएस व पीसीएस रैंक के अधिकारियों को नोटिस जारी कर अदालतों ने खुब जवाब-तलब किया तथा जवाब न देने पर उनके खिलाफ वारंट भी जारी किया। यही नहीं साल का अंत होते होते चीफ जस्टिस की बेंच ने दो आईएएस अधिकारियों जो रामपुर जिले में अलग-अलग समय पर डीएम रह चुके थे, उन्हें निलम्बित कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने का यूपी के चीफ सेक्रेटरी को आदेश दिया। दोनों आईएएस अधिकारी वर्तमान में गोरखपुर व कानपुर देहात में बतौर डीएम तैनात हैं। इन अधिकारियों को हाईकोर्ट ने प्रथमदृष्टया कोर्ट के आदेशों को दरकिनार कर खनन का लाइसेंस जारी करने का दोषी पाया था। सरकार के वकील के अनुरोध के बावजूद कोर्ट ने इन अधिकारियों को नहीं बख्शा।

कुछ इसी प्रकार का सख्त आदेश बदमाशों के प्रति भी कोर्ट का था। बाहुबली व फूलपुर इलाहाबाद के पूर्व सांसद अतीक अहमद आज भी जेल में बंद है। उनका गुनाह था कि वह नैनी कृषि विश्वविद्यालय में दो मुस्लिम छात्रों के निलम्बन वापसी की पैरवी करने विश्वविद्यालय गये थे। बातचीत के दौरान झगड़ा हुआ, उसमें मारपीट हुई तथा विश्वविद्यालय में हथियारों का प्रदर्शन कर दहशत फैलाने को लेकर पूर्व सांसद के खिलाफ नैनी थाना में केस दर्ज कराया गया। परन्तु सांसद का पूर्व सरकार में प्रभाव के चलते पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की और वह बेखौफ घूमते रहे। जब इस बात की जानकारी यूनिवर्सिटी के एक सेक्योरिटी आफिसर ने एक याचिका के मार्फत कोर्ट को दी तो कोर्ट को आश्चर्य हुआ।

कोर्ट का कहना था कि देश में कानून का शासन है। एक अपराधी विश्वविद्यालय में घूस कर मारपीट कर रहा है। वहाँ का माहौल दहशतजदा है, पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। हाईकोर्ट ने जब इस मामले में कड़ा रूख अपनाते हुए जिले के एसएसपी को कसा तथा पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने सम्बंधी आदेश पारित करने को कहा तब पुलिस के भय से अतीक को सरेन्डर होना पड़ा और पुलिस ने जेल उन्हें जेल भेजा। आज भी अतीक अहमद देवरिया जिला जेल में बंद है।

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