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एमबीबीएस कोर्स में बदलाव को मिली मंजूरी

Update: 2017-12-30 00:00 GMT

झुंझुनू। एमबीबीएस कोर्स में बदलाव को मंजूरी मिल गई है। सरकार की कोशिश है कि अगले सत्र से सभी मेडिकल कॉलेजों में यह सिलेबस ही पढ़ाया जाए। नए कोर्स में प्रशिक्षु डॉक्टरों के प्रायोगिक ज्ञान को बढ़ाने पर जोर है। किताबी पढ़ाई कराने के बजाए उपचार कैसे किया जाए, यह बताया जाएगा। नए कोर्स की अवधि भी साढ़े चार साल ही रहेगी, लेकिन हर सेमेस्टर में ऐसे चैप्टर होंगे जिन्हें सीखना अनिवार्य होगा। प्रत्येक सेमेस्टर के बाद छात्रों का एक टेस्ट होगा, जिनमें उनके सीखे गए कौशल की जांच होगी। कई ऐसे कौशल सिखाए जाएंगे, जो आमतौर पर विभिन्न पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में कराए जाते हैं। मकसद है कि यदि मरीज एक एमबीबीएस डॉक्टर के पास जाता है तो वह सभी बीमारियों में कम से कम सामान्य उपचार दे सके।

फिलहाल एमबीबीएस डॉक्टर प्रारंभिक लक्षणों के आधार पर उपचार करते हैं। ज्यादातर मामलों में मरीज को पीजी डॉक्टर यानी विशेषज्ञ डॉक्टर के पास रेफर किया जाता है। सरकार यही तरीका बदलना चाहती है। साढ़े चार साल का कोर्स करने और एक साल की इंटर्नशिप के बाद जब वे बाहर निकलेंगे तो एक परिपक्व डॉक्टर की भांति वे उपचार कर सकेंगे। फाउंडेशन कोर्स में डॉक्टरों को आचार संहिता, कम्युनिकेशन स्किल आदि भी सिखाया जाएगा। ज्यादातर मामलों में मरीजों को एमबीबीएस डॉक्टर से ही पूरा इलाज मिल जाएगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों में एमबीबीएस डॉक्टर तैनात करके सरकार विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर करेगी। एमबीबीएस करने वाले हर डॉक्टर को पीजी करने के लिए नहीं जाना होगा। नए कोर्स के बाद कई डॉक्टर पीजी करने की जरूरत महसूस नहीं करेंगे।

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