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सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी नहीं ले सकेंगे राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा

Update: 2017-12-27 00:00 GMT

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों  कर्मचारियों के लिए नियम जारी किया है। इसे आदर्श आचरण नियम का नाम दिया गया है। ये नियम कर्मचारियों को राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोकते हैं। इसके अलावा इन नियमों के मुताबिक केंद्र का कोई भी कर्मचारी सरकार की नीतियों या कार्यों की आलोचना नहीं कर सकता। इन नियमों का असर सरकारी कंपनियों में काम कर रहे 12 लाख से अधिक कर्मचारियों पर पड़ेगा। केंद्रिय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम  के एकीकृत आदर्श आचरण, अनुशासन और अपील नियम में कहा गया है कि कर्मचारियों को किसी भी तरह का उपहार लेने से बचना चाहिए।  साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर नशीले पदार्थ लेने, नशे की हालत में सार्वजनिक स्थानों पर जाने और नशीले पदार्थ या नशीली दवा का अधिक मात्रा में सेवन करने से बचना चाहिए।

मीडिया से बात करने पर रोक

नियमों के अनुसार कोई भी कर्मचारी ऐसे बयान नहीं देगा, जिसमें केंद्र, राज्य सरकार या सीपीएसई की नीतियों और कार्यों की आलोचना हो। इसमें कर्मचारी के नाम से प्रकाशित दस्तावेज या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर प्रकाशित दस्तावेज शामिल हैं। इसके अलावा प्रेस, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से बात करना भी प्रतिबंधित है। सार्वजनिक उद्यम विभाग के नए नियमों के मुताबिक उनका कोई भी कर्मचारी खुद या फिर किसी ऐसे प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेगा, जिससे अपराध को शह मिलती हो।

राजनीतिक दल से न रखें वास्ता

एक सीपीएसई कर्मचारी किसी भी राजनीतिक दल या ऐसे संगठन में कोई पद ग्रहण नहीं कर सकता जो राजनीति में भाग लेता हो। इसके साथ ही किसी भी राजनीतिक आंदोलन या प्रदर्शन भाग नहीं ले सकता। ना ही वह राजनीतिक आंदोलनकारियों की मदद कर सकता है। कर्मचारियों को विधानसभा या स्थानीय प्राधिकरण के चुनाव में प्रचार करने पर भी रोक है।

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