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राफेल फाइटर पर विवाद राजनीति से प्रेरित: रक्षामंत्री

Update: 2017-12-21 00:00 GMT

नई दिल्ली। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राफेल को लेकर चल रहा विवाद बेबुनियाद व राजनीति से प्रेरित है। लोकसभा में विपक्ष के सवालों के जवाब पर उनका कहना था कि सरकार ने रक्षा खरीद मसौदे (डीपीपी) के तहत फैसला लिया। इससे पहले 23 सितंबर 2016 को कैबिनेट कमेटी से अनुमति लेने के बाद सरकार ने समझौता किया था। सीतारमण का कहना था कि राफेल की खरीद उचित मानकों पर की गई।

लोकसभा में यह सवाल तीन भाजपा सांसदों के साथ बीजद के भार्तरुहारी माहताब, शिवसेना के राहुल शेवाले व समाजवादी पार्टी के तेज प्रताप सिंह यादव ने उठाया था। कांग्रेस का आरोप है कि राफेल सौदे में सरकार ने भारी गोलमाल किया। डीपीपी को दरकिनार कर 36 विमानों की फ्रांस से खरीद की जा रही है। जब खरीद को हरी झंडी दी गई तब तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पार्रीकर बैठक में मौजूद नहीं थे। कांग्रेस ने इसे गुजरात चुनाव के दौरान मुद्दा भी बनाया था। प्रश्नकाल के दौरान सर्जिकल स्ट्राइल को लेकर पूछे गए सवाल को रक्षा मंत्री ने टाल दिया। उनका केवल इतना ही कहना था कि राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा के लिए इस तरह की कार्यवाई चलती रहेगी। एक अन्य सवाल के जवाब में उनका कहना था कि अगर जरूरत पड़ी तो सेना चीन व पाकिस्तान को करारा जवाब देने को तैयार हैं। रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में 2014-16 के दौरान 103 जवानों ने अपनी जान गंवाई।

रक्षा खर्च में हो रही बढ़ोतरी

सुभाष भामरे का एक अन्य प्रश्न पर उनका कहना था कि 2017-18 में रक्षा बजट जीडीपी का 1.54 फीसद है। 2015-16 में यह 2015 फीसद था जबकि 2016-17 में यह 1.65 फीसद था। उनका कहना था कि हालांकि रक्षा खर्च में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 2015-16 में यह 246727 था, जबकि 2016-17 में यह बढ़कर 249099 हो गया। 2017-18 में यह बढ़कर 259261 पर पहुंच गया है।

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